उत्तर प्रदेश में योगी सरकार ने अपने दो साल पूरे कर लिए है। इन दो सालों में योगी सरकार ने जहां कई बड़े और कड़े फैसले लिए। वही कई ऐसे मौके आए जब सरकार को विवादों का सामना भी करना पड़ा। ऐसे मामलों में कई बार सीधे मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ पर विपक्ष की तरफ से आरोप लगाए गए। इन विवादों और घटनाओं को विपक्ष की तरफ से मुद्दों की शक्ल दी गई। जिसकी वजह से बीजेपी के लिए कई बार ये मामले परेशानी का सबब भी बने।
इन आरोपों में सबसे पहला मुद्दा बना फर्जी एनकाउंटर। यूपी में योगी की सरकार आते ही पुलिस ने ताबड़तोड़ एनकाउंटर किए। लेकिन विपक्ष और मुठभेड़ में मारे गए कुछ लोगों के परिजनो ने पुलिस पर फर्जी एनकाउंटर करने का आरोप लगाया। विपक्षी नेताओं का आरोप था कि सरकार अपने फायदे के लिए एनकाउंटर करवा रही है। मामला उस वक्त और गर्मा गया, जब यूपी पुलिस पर आरोप लगा कि अलीगढ़ में हुए दो एनकाउंटर में मीडिया को मौके पर बुलाकर शूटिंग करवाई गई। उनमें से एक एनकाउंटर में मारे गए नौशाद की मां ने इस मुठभेड़ को फर्जी करार दिया।
वही दूसरा विवाद रहा इंस्पेक्टर सुबोध कुमार सिंह की हत्या। बुलंदशहर के गांव महाव में गोकशी की सूचना पर स्याना थाने के प्रभारी निरीक्षक सुबोध कई पुलिसकर्मियो को लेकर मौके पर पहुंचे। महाव में जमा भीड़ का नेतृत्व बजरंग दल का जिला संयोजक योगेश राज कर रहा था। विवाद बढ़ा तो योगेश और उसके साथियों ने हमला कर पुलिस की गाड़ियों को आग लगा दी। इसी दौरान इंस्पेक्टर सुबोध की पिस्टल और मोबाइल लूटकर उनकी गोली मारकर हत्या कर दी गई। इस मामले में मुख्य आरोपी की फरारी ने पुलिस और सरकार को कटघरे में खड़ा कर दिया।
लखनऊ के पॉश इलाके गोमती नगर विस्तार में यूपी पुलिस के कॉन्स्टेबल प्रशांत चौधरी ने एप्पल के एरिया सेल्स मैंनेजर विवेक तिवारी की गोली मारकर हत्या कर दी। इस मामले में मृतक का परिवार ने गोमतीनगर थाने में पुलिसवालों के खिलाफ FIR दर्ज कराई। इस मामले में सरकार चारों तरफ से घिरती नजर आई। यहां तक कि पुलिस विभाग में ही आरोपी पुलिसकर्मी के समर्थन में एक कैंपेन शुरु हो गया था। जो सरकार और आला अफसर के लिए परेशानी का सबब बनी। वही विपक्ष ने पुलिस पर आरोपियों को बचाने के आरोप भी लगे।
कासगंज जिले में गणतंत्र दिवस के दिन झंडा यात्रा में गीत बजाने और नारेबाजी के बाद दो गुटों के बीच हिंसा भड़क गई थी। आरोप है कि इस दौरान उपद्रवियों की गोली से एक युवक की मौत हो गई थी। इस मामले में सरकार की काफी किरकिरी हुई। कई लोगों से पूछताछ की गई. इस घटना से सूबे का सियासी माहौल गर्मा गया।
वही साल 2017 में यूपी के सहारनपुर जनपद में डॉ. भीमराव अंबेडकर की प्रतिमा का अपमान किए जाने के बाद दलित और क्षत्रिय आपस में भिड़ गए थे। हालात तब और तनावपूर्ण हो गए जब कई नेता प्रभावित इलाके में जाने लगे। इसी दौरान बसपा अध्यक्ष मायावती दलितों का हाल जानने शब्बीरपुर गांव जा पहुंची। उनके वहां से जाने के बाद फिर से हिंसा भड़क गई थी। जिसमें एक शख्स की मौत हो गई। पुलिस ने इस मामले में कई लोगों को गिरफ्तार किया था। लेकिन इस हिंसा को लेकर यूपी पुलिस और सरकार को लेकर कई सवाल उठे थे।