भारत के पहले फील्ड मार्शल जाबांज मैम होर्मूसजी फ्रेमजी जमशेदजी मानेकशॉ की आज जन्मतिथि हैं। उनका जन्म 3 अप्रैल, 1914 में हुआ था जो भारत के 8वें सेनाध्यक्ष बने। सैम होर्मूसजी के नेतृत्व में ही भारत ने 1971 का युद्ध लड़ा था। जिसमें पाकिस्तान को मुंह की खानी पड़ी थी। इस युद्ध में भारत ने पाकिस्तान के 90000 सैनिकों को बंदी बनाया था। जिन्हें छुड़वाने के लिए पाकिस्तान को भारत के आगे गिड़गिड़ाना पड़ा था। लेकिन 90000 हजार सैनिकों को बंदी बनाने के बाद फील्ड मार्शल जाबांज मैम होर्मूसजी फ्रेमजी जमशेदजी मानेकशॉ का नाम इतिहास में लिखा जाने लगा। जिनके बारे में ही आज हम आपको बताने जा रहे है।
इन्होंने अपने मिलिट्री जीवन की शुरूआत ब्रिटिश इंडियन आर्मी में की। जो 4 दशकों तक चला। इस दौरान उन्होंने पांच युद्ध लड़े। वही फील्ड मार्शल की रैंक पाने वाले मैम होर्मूसजी फ्रेमजी जमशेदजी मानेकशॉ पहले भारतीय जाबांज थे।
हालांकि जब उन्होंने भारतीय सेना में जाने का फैसला किया। तो उन्हें भी विरोध का सामना करना पड़ा। उनके पिता ने उनके फैसले का विरोध किया। जिसके चलते उन्हें अपने पिता के खिलाफ जाना पड़ा। इस दौरान उन्होंने देहरादून की इंडियन मिलिट्री अकैडमी में दाखिला लिया।
वही उनकी कहानियों में एक दिलचस्प किस्सा इंदिया गांधी के साथ भी सामने आता है। जब पूर्वी पाकिस्तान यानी की आज के बांग्लादेश पर हमले के लिए इंदिरा गांधी ने कहा, तो इसके जवाब में उन्होंने भारत की हार की बात कही। हालांकि उनका ये जवाब सुनकर इंदिया गांधी को गुस्सा भी आया। लेकिन गुस्से को ध्यान न देते हुए मानेकशॉ ने कहा कि प्रधानमंत्री, क्या आप चाहती है कि आपके मुंह खोलने से पहले मैं कोई बहाना बनाकर आपको इस्तीफा दे दूं।
जिसके चलते 7 महीने बाद भारत ने पूरी तैयारी के साथ युद्ध लड़ा। युद्ध से पहले जब इंदिरा गांधी ने भारतीय सेना की तैयारी के बारे में पूछा, तो जवाब में उन्होंने कहा मैं हमेशा तैयार हूं स्वीटी।