आज एक बार फिर से खाकी के इकबाल पर सवाल खड़ा हुआ है, आज फिर से कानून की सुरक्षा का दावा ठोंकने वालों ने वर्दी को ही दागदार किया है। जिस समाज की सुरक्षा की कसम वर्दी पहनकर खाई थी, आज उसी वर्दीधारी पर सवाल उठे हैं। कुछ समझने से पहले ही खबर की तस्दीक कर लीजिए। खबर वास्तव में शर्मनाक है और ये वीडियो उस शर्म का सबूत है। यूं कह लीजिए कि पुलिस की नाक के नीच अपराध का खुला खेल चल रहा है। वैसे यूपीवार्ता ने भी बीड़ा उठाया है कि यूपी के ऐसे पुलिसवालों का सच आपके सामने लेकर आएं, जिनके लिए कानून की पालना टेड़ी खीर है। कुछ दिन पहले ही हमने आपको बस्ती के गौर थाना क्षेत्र की उन घटनाओं से वाकिफ करवाया था, जो पुलिसिया इकबाल पर सवाल खड़े कर रही थी। एक बार फिर से हम एक एक्सक्लूसिव खुलासा आपके बीच लेकर आए हैं। एक बार फिर बस्ती से बस्ती की हवा में पुलिस की साजिश की बू आई है। पुलिसकर्मी खुलेआम गांजा बेचने वाली महिला से वसूली कर रहा है। वसूली का ये वीडियो वायरल हुआ, तो महिला को जेल भेज दिया गया। गजब हाल है! महिला को जेल भेज दिया गया लेकिन पुलिसवाले पर कार्रवाई कौन करेगा ? पुलिस उस वसूलीखोर जवान पर कार्रवाई करने को तैयार नहीं ? सवाल तो बस्ती जिले के कप्तान पंकज कुमार पर भी खड़ा होता है।
क्या ये वीडियो उन्होंने देखा तक नहीं? अगर देखा है तो कार्रवाई क्यों नहीं? क्या सिर्फ एक महिला को जेल भेज देने से काम पूरा हो गया ? अगर कप्तान साहब ने ये वीडियो नहीं देखा है, हम दिखा देते हैं। वीडियो में साफ दिख रहा है कि, पुलिसवाला पहले महिला से बातचीत करता है, फिर वसूली करता है और उसके बाद चल पड़ता है। कुल मिलाकर पुलिस की नाक के नीचे गांजे का खुला कारोबार चल रहा है और पुलिस को इस बात की भनक तक नहीं? मामले में ट्विस्ट तो तब आया जब वीडियो वायरल होने के बाद पुलिस ने सिपाही के खिलाफ कार्रवाई ना करके महिला के खिलाफ कार्रवाई की। महिला को पकड़कर थाने ले गई। अब जरा ये भी जान लीजिए कि इस मामले पर पुलिस अधीक्षक का कहना है कि…पुलिस अधीक्षक कह रहे हैं कि ‘जो वसूली कर रहा है, उसकी पहचान नहीं हो पा रही है।’ गजब का बयान दिया है कप्तान साहब ने। वो तो शुक्र मनाइए जनता का…जिसने पुलिस पर कार्रवाई करने के लिए दबाव बनाया। अब जाकर अपराधियों की छानबीन की जा रही है। वरना तो योगी सरकार के इन अफसरों को वसूली के अलावा कुछ और दिखाई ही नहीं देता। ये पहला मामला नहीं है…पुलिस के ऐसे ही खोखले दावों की पोल हम पहले भी खोल चुके हैं। आइए एक एक करके तीनों मामले भी जान लीजिए।
गौर थाने के चर्चित मामले
पत्रकार पर हमला
गौर थाना क्षेत्र की खबरों पर जब यूपीवार्ता न्यूज ने नजर डाली। और प्रशासन के खोकले दावों पर सवाल उठाया। तो फौरन पुलिस हरकत में आई। और पत्रकार पर हमला करने वाले अपराधियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की। पत्रकार पर हमला 1 अगस्त को हुआ था।
सर्राफा व्यापारी बदमाशों ने चलाई गोली
दूसरा मामला गौर थाना के सर्राफा व्यापारी का सामने आया। जिसमें पुलिस ने सर्राफा व्यापारी पर गोली चलाने वाले बदमाशों को भी पकड़ा। जिनमें से फिलहाल दो फरार चल रहे हैं। लेकिन उसके तीन साथियों को हिरासत में ले लिया गया है।
76 हजार पर पर्दा डाला तो घटी डेढ़ लाख की लूट
तीसरी और चौथी घटना तब हुई जब एक पखवारे के अन्दर उच्चकों ने दिन दहाड़े दो-दो घटनाओं को अंजाम दिया। उच्चकों ने थाने से महज 200 व 300 मीटर दूरी पर स्थित एक दुकान से 76 हजार व दूसरी से 1.50 लाख रूपए उड़ाकर पुलिस को चुनौती दी। हालांकि पुलिस ने पहली घटना पर तो पर्दा डाल दिया लेकिन दूसरी घटना में मुकदमा दर्ज कर लिया। एक पखवारे के ही अन्दर दो-दो घटनाओं के बाद से व्यापारियों में दहशत का माहौल है। व्यापारी काफी डरे हुए हैं।
ये सभी मामले 1 महीने के भीतर ही सामने आए हैं। इन घटनाओं से इलाके के लोगों में दहशत का माहौल है। लोग घरों से निकलने में डरने लगे हैं। पर प्रशासन खाकी वर्दी का सम्मान नहीं कर रहा है। बल्कि योगी सरकार के सारे दावों और वादों को गलत साबित करने में जुटा है। ये भी पढ़ेंः- यूपी में अपराधियों का अड्डा बना बस्ती जिला, अब फर्जीवाड़े और कालाबाजारी का भी खुला खेल