लोकसभा चुनाव की खबरों के साथ ही उत्तर प्रदेश में राजनीतिक उठा पटक भी तेज हो गई हैं। जैसे ही साल 2019 लगा… सबसे पहले यूपी में बीएसपी सुप्रीमों मायावती और सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने गठबंधन किया। जिसे देखकर सब हैरान हो गए। वही अब गठबंधन के साथ दोनो ही पार्टियों ने प्रदेश की सीटों का बंटवारा भी किया। जिसमें मायावती की चालाकी अखिलेश यादव पर भारी पढ़ गई। या यू कहे कि मायावती ने सीट बंटवारे में अपना फायदा देखा। जिसके नुकसान अब अखिलेश यादव की समाजवादी पार्टी को उठाना पढ़ेगा।
दरअसल गठबंधन के ऐलान के बाद जो सीटें सपा के खाते में आई है। उनमें से कई सीटें ऐसी हैं। जहां पर समाजवादी पार्टी एक बार भी नहीं जीती है। सबसे पहले बात करते है उत्तर प्रदेश के कानपुर की सीट। जिसमें इस समय बीजेपी के वरिष्ठ नेता मुरली मनोहर जोशी सांसद है। 2014 में जब चुनाव हुआ था। उस दौरान कानुपर की सीट पर जोशी ने पहले नंबर पर रहते हुए 474712 वोट हासिल किए थे। जिसके बाद दूसरे नंबर पर कांग्रेस, तीसरे नंबर पर बीएसपी और चौथे नंबर पर समाजवादी पार्टी रही थी। कानपुर में बसपा को 53218 और सपा को 25723 वोट मिले थे और इन वोट से एक बात तो साफ है कि अगर 2019 में ये दोनो पार्टियां भी एक साथ उतर जाए। तो बीजेपी का सामना करने लायक नहीं बन रही है।
कानपुर के बाद वाराणसी की सीट भी समाजवादी के खाते में गई है और वाराणसी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का संसदीय क्षेत्र है। 2014 में पीएम मोदी ने वाराणसी से रिकॉर्ड वोटों से जीत हासिल की थी। इस दौरान पीएम मोदी को 581022 वोट मिले थे। तो वही बसपा को 60579 वोट और सपा 45,291 वोट हासिल हुए थे। वाराणसी में भी दोनो पार्टियां अपना वोट मिला दे। तो पीएम मोदी के सामने नही ठहर पा रही।
सपा- बसपा गठबंधन में लखनऊ सीट अखिलेश यादव के खाते में आया है। जिसे बीजेपी का गढ़ कहा जाता है। लखनऊ में केंद्रीय मंत्री राजनाथ सिंह सांसद है। इस सीट पर आजतक सपा और बसपा कभी भी जीत हासिल नहीं कर पाई है। वही अगर गाजियाबाद लोकसभा सीट पर नजर डाले, तो उसे भी बीजेपी के गढ़ के रूप में देखा जाता है। यहां पर केंद्रीय मंत्री वीके सिंह सांसद है। 2014 के लोकसभा चुनाव में इस सीट पर बसपा और सपा चौथे और पांचवे नंबर पर रहीं। जिससे साफ है कि इन सीटों पर बीजेपी की मजबूत पकड़ है।