सलाम है ऐसे सपूतों को जो किसी भी चुनौती से डरते नहीं। धन्य हैं ऐसे सपूत…जिनके लिए हिम्मत और हौसला ही सबसे बड़ा हथियार है। ये कहानी है मेजर डीपी सिंह की…मेजर करगिल युद्ध के नायक रह चुके हैं और उसी युद्ध में अपना दायां पैर गंवा चुके हैं। मेजर सिंह के साथ भारतीय सेना खड़ी थी और जनर बिपिन रावत जैसे दिग्गज आर्मी चीफ खड़े थे। सेना की तरफ से उन्हें कृत्रिम पैर दिए गए। आम भाषा में इन्हें ब्लेड प्रोस्थेसिस कहा जाता है। कई बार ऐसे भी मौके आए, जब दौड़ते वक्त मेजर को असह्य पीड़ा हुई। शरीर में इतने जख्म थे कि दौड़ने से अक्सर खून रिसने लगता था लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी। वो पहले धीरे चले, फिर तेज चले और फिर तेजी से रफ्तार भरने लगे।
क्या आप जानते हैं कि इसके बाद भी मेजर सिंह तीन बार मैराथन दौड़ चुके हैं। आज उन्हें देश का सबसे धाकड़ ब्लेड रनर भी कहा जाता है। आगे जानिए अब उन्होंने क्या कारनामा कर दिखाया है।
अब मेजर सिंह देश के इकलौते ऐसे दिव्यांग जवान बन गए हैं, जिन्होंने स्काई डाइविंग कर दिखाई। मेजर सिंह को इस स्काईडाइविंग के लिए 18 मार्च से ट्रेनिंग दी जा रही थी। सेना प्रमुख बिपिन रावत से इस बात की मंजूरी ली गई और इसके बाद मेजर सिंह को प्रशिक्षण दिया गया। अब देश ने ये नजारा देखा…कारगिल युद्ध के नायक रहे मेजर डीपी सिंह ने नासिक में पहली बार सफल स्काईडाइविंग की है। उन्होंने दिखा दिया है कि शारीरिक कमजोरी भी किसी की उड़ान को नहीं रोक सकती।
मेजर सिंह का साफ तौर पर कहना है कि बचपन से लेकर अब तक उन्हें कई बार तिरस्कार का सामना करना पड़ा, लेकिन हार न मानने का जज्बा मजबूत होता चला गया। आपको ये जानकर भी गर्व होगा कि मेजर सिंह दो बार लिम्का बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स में नाम दर्ज करा चुके हैं। ये भी पढ़ेंः-भारत का वो अमर शहीद जिसका आज भी होता है प्रमोशन, सेवा में लगे रहते हैं 5 जवान