पूर्व रक्षा मंत्री और गोवा के मुख्यमंत्री मनोहर पर्रिकर अग्नाश्य कैंसर यानी पैन्क्रियाटिक कैंसर से चपेट में आने से वो दुनिया को अलविदा कह गए। इस बीमारी का इलाज अमेरीका और दिल्ली के एम्स में काफी लंबे समय से चल रहा था। पर्रिकर पैन्क्रियाटिक नामक कैंसर से पीड़ित थे जिसमें बचने के बहुत कम उम्मीद होती है। इस बीमारी के बाद भी पर्रिकर अपने काम में सक्रिय बने रहे। हम आपको बताते हैं कि ये बीमारी है क्या, और इसकी पहचान कैसे होती है।
पैन्क्रियाटिक कैंसर बहुत ही घातक बीमारी है और पैंक्रियाज के कैंसर की पहचान काफी मुश्किल होती है।
पैंक्रियाज यानी अग्नाशय शरीर में बहुत अंदर स्थित होता है। पेट के काफी अंदर होने के कारण बाहर से देखने पर या छूकर इस कैंसर का पता नहीं लगाया जा सकता है। आमतौर पर पैंक्रियाज कैंसर होने पर पेट में दर्द की समस्या होती है मगर ज्यादातर लोग साधारण दर्द से इसे अलग नहीं महसूस करते हैं इसलिए वे दर्द निवारक दवा से इस दर्द को रोक देते हैं।
पैंक्रियाज कैंसर का ट्यूमर या गांठ पेट के काफी अंदर होता है और कई अंगों से ढका होता है इसलिए आमतौर पर इसके कारण होने वाली सूजन या त्वचा पर किसी तरह का परिवर्तन शुरुआत में नहीं दिखाई पड़ता है।
पेट में एसिडिटी, कब्ज, दर्द, अपच आदि की समस्या बहुत साधारण होती है इसलिए इनके होने पर किसी का भी ध्यान पैंक्रियाटिक कैंसर की तरफ नहीं जाता है।
पैंक्रियाज कैंसर के कुछ लक्षण अन्य बीमारियों से भी मिलते हैं इसलिए भी इस कैंसर की जांच मुश्किल हो जाती है जैसे- शरीर में सीरम बिलीरुबिन का असामान्य रूप से बढ़ना पैंक्रियाज कैंसर का लक्षण है मगर ये अन्य रोगों जैसे- पीलिया, हेपेटाइटिस, गॉल स्टोन आदि के कारण भी बढ़ सकता है।
बहुत साधारण होते हैं अग्नाशय कैंसर के लक्षण
पेट के ऊपरी भाग में दर्द रहना।
स्किन, आंख और यूरिन का कलर पीला हो जाना।
भूख न लगना, जी मिचलाना और उल्टियां होना।
कमजोरी महसूस होना और वजन का घटना।
अगर आपको इन लक्षणों में से कोई भी लक्ष्ण दिखाई दे तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें।