उत्तर प्रदेश के कानुपर से भारतीय वीर सपूत दीपक पांडेय कश्मीर के बड़गाम में हुए हेलीकॉप्टर क्रैश में शहीद हो गए। जब गुरुवार को उनका पार्थिव शरीर उनके पैतृक गांव कानुर के चकेरी पहुंचा तो जनसैलाब उमड़ पड़ा। शहीद दीपक की मां रिश्तेदारों और परिवार वालों को आंसू बहाने से रोक रही थी। रो रहे रिश्तेदारों से उन्होंने बोला कि बेटे ने शहादत दी है, कोई रोना मत।
हालांकि जब आखरी बार बेटे का चेहरा भी देखने को नहीं मिला तो रमा पांडेय खुद को रोक नहीं पाईं और ताबूत पर सिर पटककर रो पड़ीं। फिर क्या था, जिनको वह दिलासा दे रहीं थी वे रिश्तेदार और परिवार वाले भी बिलख पड़े।
शहीद दीपक पांडेय अपनी चार बहनों में अकेले भाई थे। दीपक की मां शहीद दीपक द्वारा कही गई आखिरी बाते दोहरा रही हैं कि घर का काम लगभग पूरा हो गया है। पिताजी की आंख का ऑपरेशन भी करा दिया है। उन्हें उठने बैठने में जो दिक्कत थी वह भी अब कम हो गई है। आपके बचे-कुचे काम भी पूरे करा दिए हैं। मां…अब मैं जल्द नहीं आऊंगा। ड्यूटी पर जाते समय दीपक की कही इन बातों को मां रमा पांडेय कई बार दोहरा चुकी हैं। शहीद दीपक की मां कहना है कि ऐसा पता होता तो बेटे को जाने ही न देती।
उधर शहीद दीपक के ताऊ भी कुछ भी बोलने की स्थिति में नहीं है। शहीद दीपक की बुआ का कहना है कि उन्हें गहरा सदमा लगा है। दरअसल शहीद दीपक के ताऊ शिव प्रकाश एयरफोर्स से रिटायर हैं। वे साथ एक ही घर में रहते हैं। शहीद दीपक की बुआ कहना है कि दीपक अपने ताऊ से प्रेरित हो कर ही एयरफोर्स में गए थे।
शहीद दीपक की बुआ ने बताया कि वो नौकरी लगने के बाद वह जब भी छुट्टियों पर घर आता तो दौड़भाग ही किया करता था। फरवरी में आया तो घर की मरम्मत चल रही थी। वह मजदूरों को सामान उपलब्ध करवाने में जुटा रहता था। नहाना खाना तक भूल जाता था। उसे चिंता थी कि उसके जाने के बाद कहीं उसके पिता दौड़भाग न करनी पड़े। जाने से पहले कह भी गया था कि अब काफी काम हो गया। आप लोगों को किसी तरह की दिक्कत नहीं होगी।
शहीद दीपक के दोस्तों ने कहा ‘मुझे दीपक की शादी का इंतजार था। जब भी वो आता तो इसी पर बात होती कि जल्दी शादी करे और हम सारे दोस्त बारात में खूब मस्ती करें। हमें क्या पता था कि वो ऐसी बारात करवाएगा कि पूरा कानपुर उमड़ पड़ेगा। सोचा नहीं था मेरे यार की बारात ऐसी होगी। यह कहकर दीपक के बचपन के दोस्त आकाश फूट-फूटकर रोने लगे।
वही शहीद के घर यूपी के डिप्टी सीएम कैशव प्रसाद मौर्या भी श्रद्धांजलि देन पहुंचे और उनकी मां को दिलासा दिया। शहीद दीपक की अंतिम यात्रा में पूरा कानपुर उड़ पड़ा और नम आखों से श्रद्धांजलि दी।