रंगों का त्योहार होली आ चुका है. हर कोई इस दिन रंगों की दुनिया में खो जाता है. बात पकवानों की करें तो कई तरह के पकवान बनते हैं, जिनमें गुजिया सबसे फेमस है. वहीं इस दिन ठंडाई भी बनती है. ये कोई ऐसी वैसी ठंडाई नहीं बल्कि भांग वाली ठंडाई होती है. वहीं होली और भांग का रिश्ता अलग ही है. आइए आपको बताते हैं होली की भांग का अंग्रेजों के जमाने से क्या कनेक्शन है.
ये है कनेक्शन
भांग होली के दिन बनाई जाती है. इसका संबंध 1857 की क्रांति से भी जुड़ा हुआ है. माना जाता है कि मंगल पांडे ने बैरकपुर छावनी में विद्रोह का जो बिगुल फूंका था. उसके पीछे भी भांग की ही भूमिका थी. जब उनके ऊपर विद्रोह का मुकदमा चल रहा था तब उन्होंने भांग का सेवन और उसके बाद अफीम खाने की बात स्वीकारी थी. वहीं जहां पश्चिम में ये धारणा थी कि भाग या उसके उत्पाद जैसे गांजा आदि के सेवन से इंसान पागल हो सकता है, तो वहीं जब अंग्रेज भारत आए तो वो ये देखकर हैरान थे कि यहां किस तरह भांग का सेवन होता है और ये आमबात है. इस धारणा की पुष्टि और भारत में भांग के उपयोग के दस्तावेजीकरण के लिए अंग्रेज सरकार ने भारतीय भांग औषधि आयोग का गठन किया था.
क्या काम करता था आयोग
आयोग का काम भांग की खेती, इससे नशीली दवाएं तैयार करने की प्रक्रियाएं, कारोबार, इस्तेमाल, प्रभाव और रोकथाम पर एक रिपोर्ट तैयार करना था. इसके लिए चिक्तसा विशेषज्ञों में पूरे भारत में 1000 से ज्यादा साक्षात्कार किए थे. वहीं जब ये रिपोर्ट तैयार हुई तो आश्चर्यजनक रूप से इसके निष्कर्ष भांग के इस्तेमाल को लेकर बड़े सकारात्मक थे. पागपन तो बहुत दूर की बात है इसका संयमित सेवन तो हनिरहित है. उन्होंने पाया कि शराब भांग से ज्यादा हानिकारक है, जिसके चलते उनके पास प्रतिबंध लगाने की कोई वजह नहीं है. ये भी पढ़ें: आज आएगी बीजेपी की लिस्ट, देर रात तक चला उम्मीदवारों के नाम पर मंथन