एक अध्ययन में पता चला है कि दिल्ली में 2020 तक पीने का पानी नहीं बचेगा। ये रिपोर्ट दुनियाभर में किए गए भूजल पर हुए अध्ययन पर आधारित है। इस रिपोर्ट में कहा गया है कि पूरी दुनिया में उत्तरी भारत ही एक ऐसा है जहां भूजल तेजी के साथ कम हो रहा है। इस संकट के केंद्र में देश की राजधानी दिल्ली है। जहां प्रतिदिन भूजल कम होता जा रहा है।
अध्ययन करने वाले नेशनल ज्योग्राफिक रिसर्च इंस्टीट्यूट के डायरेक्टर डॉक्टर विरेंद्र एम तिवारी का कहना है, “दिल्ली से लेकर, हरियाणा, पंजाब, पश्चिमी उत्तर प्रदेश और राजस्थान में हर साल 32 क्यूबिक किमी पानी बर्बाद होता है। जो कि सामान्य से काफी अधिक है। यह पानी आंशिक रूप में क्रत्रिम मानसून से ही प्राप्त किया जा सकता है।” उन्होंने कहा, “गर्मियों में भूमिगत जल और भी कम होता जाता है।”
वैज्ञानिकों का कहना है कि सेंट्रल ग्राउंडवाटर बोर्ड के अनुमान से 70 फीसदी तेजी से भूजल कम हो रहा है। कुछ रिपोर्ट में ये भी कहा गया है कि 1990 के दशक में हर साल 172 क्यूबिक किमी भूजल कम हो रहा था। “हमें इस बारे में कुछ नहीं पता कि क्षेत्र में कितना भूजल बचा हुआ है। लेकिन हमें साफ तौर पर पता है कि तस्वीर बेहद गंभीर है।”
नीति आयोग का कहना है कि अगर दिल्ली में ऐसी ही स्थिति बनी रही तो 2020 तक यहां भूजल बचेगा ही नहीं। बढ़ती जनसंख्या और जल संसाधनों के सिकुड़ने से भूजल क्षेत्र हर साल 10 सेमी तक कम हो रहा है। कई अन्य पर्यावरणीय प्रभावों के साथ दिल्ली इस संकट के भी केंद्र में है। पोषक तत्व खत्म हो रहे हैं और मिट्टी के प्रकार खराब हो रहे हैं।
गौरतलब है कि ये खबर दिल्ली वालों को कतई पसंद नहीं आएगी। लेकिन ये एक संकेत है कि दिल्ली के लोग और सिर्फ दिल्ली के ही नहीं देश भर के लोग पानी के मोल को समझें और बेवजह न बहाए।