फिल्म में हीरो होता है और हीरोइन भी और अक्सर लोग इनकी एक्टिंग की ही तारीफ करते हुए नजर आते हैं. लेकिन फिल्म में एक किरदार होता है विलेन का जिसे लोग अक्सर भूल जाते हैं. हालांकि, कुछ विलेन ऐसे भी हैं जो अपनी एक्टिंग के दम पर लोगों के दिलों में जिंदा तो रहते हैं, लेकिन कुछ ही वक्त के लिए. ऐसे में में इन विलेन को समेटने का काम फजले गुफरान ने अपनी किताब में बखूबी निभाया है. इन्होंने एक किताब लिखी है जिसका नाम है ‘मैं हूं खलनायक.’
खोए खलनायकों को समेटा
दरअसल, फजले गुफरान एक दशक से भी ज्यादा वक्त से फिल्म जगत में पत्रकारिता कर रहे हैं. फजले ने अपनी इस किताब में 100 से ज्यादा खलनायकों के करियर और जीवन के बार में बताया है. जे विलेन कहीं खो से गए थे उन्होंने उन सभी विलेन को समेटकर अपनी किताब में दर्शाया है. इस किताब में अमरीश पुरी, गुलशन ग्रोवर, प्राण, डैनी, प्रेम चोपड़ा, कुलभूषण खरबंदा, अजमद खान, रजा मुराद, कादर खान, शक्ति कपूर समेत कई विलेन के बारे में दर्शाया गया है. मौजूदा स्थिति में विलेन की अहमियत काफी ऊपर हो चुकी है.
कई डायलॉग जिनमें ‘मोगैंबो खुश हुआ,’ ‘आंखें निकाल कर गोटियां खेलूंगा,’ ‘आऊ’ समेत कई डायलॉग लोगों के दिलों में अब भी जिंदा है. इस किताब में विलेन किरदारों को दर्शाया गया है. ये भी पढ़ें: धोनी ने बीच मैदान पर पहले फैंस को दौड़ाया, फिर गले से लगाया देखिए