जब आप हिन्दुस्तान की सियासत का अध्ययन करें तो इसमें कोई नवीन बात नहीं है कि आपको अजीबोगरीब घटनाओं से रूबरू होना पड़े, लेकिन ये एक पल के लिए आपको कुछ सोचने समझने पर मजबूर जरूर कर देंगा. इस कड़ी एक अर्थी बाबा हैं, जो सूबे के मुखिया व सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव के खिलाफ, उनके ही संसदीय क्षेत्र आजमगढ़ से ताल ठोकने की तैयारी कर रहे हैं. इन ‘अर्थी बाबा’ का हिन्दुस्तान की सियासत से पुराना नाता रहा है. ये इस देश की सियासत के पुराने सूरमा हैं. ये कोई पहली मर्तबा नहीं है कि जब ये लोकसभा का चुनाव लड़ रहे हैं, बल्कि इससे पहले भी वे सूबे के वर्तमान मुखिया योगी आदित्यनाथ के संसदीय क्षेत्र गोरखपुर से ताल ठोक चुके हैं. इसी कड़ी में उन्होंने कई चुनाव लडें, जिसमें लोकसभा, राज्यसभा, विधानसभा, राष्ट्रपति तक के चुनाव भी इनकी चुनावी फेहरिस्त में शामिल हैं.
इसी बीच, इन ‘अर्थी बाबा’ ने अपनी अलग छवी व अलग रवैये के चलते अपनी अलग पहचान स्थापित की है. चुनाव प्रचार के लिए ये अर्थी पर बैठकर जातें हैं. इतना ही नहीं, इनकी पहिनावा भी है, अलग या फिर यूं कहें कि काफी अजीबोगरीब है. ये चुनाव जीतने के लिए वे श्मशान घाट में लाशों को जगाते हैं और चुनाव में जीत हासिल करने के लिए उनसे प्रार्थना करते हैं.
इसके साथ आजमगढ़ से नामांकन पत्र दाखिल करने से पहले वे अघोरी बाबाओं से मुखातिब होंगे, उनसे आशीर्वाद लेंगे, ताकि वे चुनाव में जीत हासिल कर सकें. उन्होंने कहा कि जब वे चुनाव में जीत हासिल कर लेंगे तब उनका कार्यालय श्नशाम घाट में होगा.