Friday, June 2, 2023

भारत की हुई जीत, अब खुद पीछे हटेगा ड्रैगन, भारत ने दबाई चीन की दुखती नस!

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बीते नौ महीने से भारत-चीन सीमा(India-China border) पर जो लड़ाई जारी थी, उसको अब खत्म कर दिया गया है. इस खींचातानी में भारत ने बाजी मारी है और चीन को अपने रास्ते अलग करने पड़े हैं. अभी कुछ देर पहले संसद भवन में राजनाथ सिंह ने सभा को संबोधित करते हुए कहा था कि सीमा पर भारत और चीन दोनों तरफ की सेना अपनी पुरानी पोस्ट पर लौट रही हैं. पैंगोंग लेक(Pangong Lake) से दोनों देश की सेनाएं पीछे हट जाएंगी. इसमें चीन के फिंगर-8 के पीछे भागेगा और भारत अपने सैनिकों को फिंगर 3 के पास अपने स्थायी बेस पर खड़ा करेगा.
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रक्षा मंत्री ने रखी ये बातें
1- भारत की एक इंच जमीन पर भी किसी का हिस्सा नहीं होगा ना भारत किसी तो लेने. इसी दृढ़ संकल्प का ही नतीजा है कि हम पूर्वी लद्दाख में चीन के साथ सीमा पर जारी गतिरोध के मद्देनजर समझौते की स्थिति पर पहुंचे हैं.
2- पैंगोंग झील के उत्तर और दक्षिण तट से सेना हटाने के मुद्दे पर चीन के साथ सहमति बनी है. इस समझौते के बाद, भारत चीन चरणबद्ध तरह से फॉरवर्ड पोस्ट पर खड़े सिपाहियों को पीछे करेंगे.
3- हर बार भारत ने चीन से कहा है कि द्विपक्षीय संबंध दोनों की कोशिशों से ही बनेंगे. सीमा की दिक्कतों को भी बैठ कर ही हल किया जा सकता है.
4- चीन ने पूर्वी लद्दाख में एलएसी (वास्तवकि नियंत्रण रेखा) के पास कई स्थानों पर हथियारों और गोला-बारूद के साथ भारी सैन्य बल तैनात कर रखा है. इसके जवाब में हमारी सेना ने भी पर्याप्त और अच्छे तरह से तैनाती की है.
5- एलएसी पर तैनाती और निगरानी के बारे में कुछ मुद्दे बचे है, जिनपर आगे बातचीत होगी. इस बात पर दोनों पक्ष सहमति जता रहे हैं कि द्विपक्षीय समझौतों और प्रोटोकॉल के तहत सैनिकों की वापसी जल्द से जल्द कर ली जाए.
6- 1962 से चीन लद्दाख के इलाके में अनाधिकृत तरीके से कब्जा बनाए हुए है. चीन को पाकिस्तान की तरफ से भी भारत की जमीन दे दी गई. चीन ने 43 हजार वर्ग किलोमीटर जगह में अनाधिकृत तरीके से कब्जा किया हुआ है. इसके चलते दोनों देश ( चीन और भारत) के संबधों में असर दिखाई दिया है.
7- हमारे सुरक्ष बलों ने इस बात को सिद्ध कर दिया है कि वो देश की रक्षा के लिए किसी भी कसौटी पर उतर सकते हैं और सैनिकों के ऐसे बलिदानों को राष्ट्र हमेशा याद करेगा. राष्ट्र की बात आते ही पूरा देश एक साथ हो जाता है.
8- हमारी देश की सम्प्रभुता की रक्षा करने से चीन भी अच्छी तरह से वाकिफ है. हम यह उम्मीद लगाते हैं कि चीन द्वारा हमारा सहयोग करेगा और सभी मुद्दों पर बैठ के बातचीत करेगा.
9- साल 2020 सितंबर से दोनों स्तर (सैन्य और राजनयिक स्तर) पर दोनों पक्षों में बहुत बार बातें हुई हैं कि इस डिसइंगेजमेंट को स्वीकार करने का तरीका निकाला जाए. इस पर अभी तक वरिष्ठ कमांडर के स्तर पर 9 राउंड की बातचीत हो चुकी है.
10- भारत ने चीन को कई बार वार्ता में बताया है कि वह तीन सिद्धांतों के आधार पर इस समस्या का समाधान चाहता है. पहला, दोनों पक्षों द्वारा एलएसी को माना जाए और उसका सम्मान किया जाए. दूसरा, किसी भी पक्ष द्वारा यथास्थिति को बदलने का एकतरफा प्रयास नहीं किया जाए. तीसरा, सभी समझौतों का दोनों पक्षों द्वारा पूर्ण रूप से पालन किया जाए. इस बातचीत में हमने कुछ भी खोया नहीं है.
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