नई दिल्ली। पुणे की 13 माह की बच्ची वेदिका शिंदे, जो स्पाइनल मस्कुलर एट्रोफी (एसएमए टाइप ई-1) से जूझ रही थी, बीते एक अगस्त को दम तोड़ दिया, वेदिका मां-बाप की इकलौती लाडली थी। गौरतलब हो कि वेदिका को एक बहुत ही दुर्लभ बीमारी थी जिससे ये जूझ रही थी इस बच्ची का नाम वेदिका शिंदे था। वेदिका के माँ बाप ने इसको बड़े से बड़े डॉक्टर को दिखाया, लेकिन इसकी जान कोई नहीं बचा पाया, जबकि वेदिका को दुनिया का सबसे महंगा 16 करोड़ का इंजेक्शन भी लगाया गया था, फिर भी इस बच्ची की जान न बच सकी।
वेदिका के माता-पिता बहुत अमीर हैं, इस इंजेक्शन के लिये 16 करोड़ रूपए वित्तीय मदद के द्वारा जुटाये गये थे। तमाम कठिन प्रयासों के बाद रविवार शाम को पुणे के दीनानाथ मंगेशकर अस्पताल में वेदिका शिंदे की जान चली गयी। बच्ची के माता-पिता ने बताया कि रविवार शाम को बच्ची को अचानक सांस की समस्या होने लगी। हम तुरंत उसे नजदीकी अस्पताल ले गए। उसे तुरंत वेंटिलेटर पर रखा गया। डॉक्टरों ने उसकी जान बचाने के लिए तमाम कोशिशें कीं लेकिन ऐसा नहीं हो सका। पिछले महीने बच्ची को इंजेक्शन दिए जाने के बाद, उसकी हालत में सुधार हुआ था। हमने पिछले महीने उनका जन्मदिन भी मनाया था।
बताते चलें कि जब बच्ची की मौत हुई उससे पहले उसके माँ बाप ने एक सोशल मीडिया पर वीडियो अपलोड किया था जिसमें बच्ची के ठीक होने के हालत भी नजर आ रहे थे और स्वस्थ के बारे में बताया जिसमें सुधार भी आ रहा था। ये रीढ़ की मांसपेशी से सम्बन्धित बीमारी है ‘एसएमए टाइप-एक’ इस तरह की बीमारी होती है और वेदिका को अचानक सास लेने में दिक्कत हुई थी उसके तुरत बाद माता पिता ने उसे पास के निजी अस्पताल में भर्ती करा दिया था। लेकिन वेदिका ने रविवार 1 अगस्त को शाम छह बजे दम तोड़ दिया। अगर मृतका बच्ची की माँ बाप की मानें तो बच्ची की मौत से पहले उसके स्वास्थ में सुधार हो रहा था, लेकिन जब बच्ची की मौत हुई तो डॉक्टर्स ने बोलै बच्ची को दूध पीने में दिक्कत आ रही थी उसकी वजह से बच्ची की मौत हो गयी।
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