भारत और अमेरिका के शीर्ष अधिकारियों के बीच समुद्री सुरक्षा के मसले को लेकर वार्ता होने जा रहा है। अमेरिका के शीर्ष नेतृत्व का कहना है, ‘हम चाहते हैं कि समुद्री सुरक्षा के मसले को लेकर दोनों ही देशों के बीच, जो भी बातचीत हो। वो सार्थक होनी चाहिए। तभी समस्या का समाधान हो पाएगा। साथ ही अमेरिका के शीर्ष नेतृत्व ने ये भी कहा कि भले ही ये वार्ता सचिव स्तर पर ही क्यों न हो, लेकिन हमारा मुख्य मकसद है कि वार्ता सार्थक हो। ये भी पढ़े :अल्पसंख्यकों की सुरक्षा को लेकर अमेरिका, ब्रिटेन और कनाडा ने चीन और पाक की जमकर लगाई क्लास
वहीं, भारत और अमेरिका के बीच होने जा रही इस बैठक में चीन की पैनी नजर बनी हुई है। सामरिक महत्व के लिहाज से ये पूरा समुद्री इलाका चीन के लिए भी खासा मायने रखता है, इसलिए चीन की पैनी निगाहें इस समुद्री इलाके पर बनी हुई है। साथ ही भारत के लिए अभी ये देखना भी काफी अहम है कि चीन भारत को किस तरह से घेरने की कोशिश करता है।
यहां पर हम आपको बता दें कि दक्षिण और मध्य एशियाई मामलों के सहायक सचिव रान्डेल अपने भारतीय समकक्ष के साथ वार्ता कर रहे हैं। विदेश विभाग का कहना है कि दोनों ही देशों के लिए ये रणनीतिक साझेदारी काफी अहम है। साथ ही एशिया प्रशांत को लेकर ये बैठक चीन के लिए खासा दिलचस्प साबित हो रही है। समुद्री इलाके में चीन की दखलंदाजी को देखते हुए ये बैठक काफी मायने रख रही है।
लगातार चीन का होता दखल खतरे की घंटी है
भारतीय नौसेना प्रमुख करमबीर सिंह ने कहा कि लगातार चीनी नौसेनिकों का भारतीय समुद्री सीमा पर दखल देना हमारे लिए वाकई चिंता का सबब है। लिहाजा हमारे सैनिकों को भी हर वक्त हर परिस्थिति में उन्हें माकूल जवाब देने के लिए तैयार रहना चाहिए। साथ ही उन्होंने कहा कि चीन अपनी पीपुल्स लीरेशन आर्मी को संसाधन महुैया करवा रहा है, ताकि भारतीय समुद्री सीमा पर अपनी घुसपैठ बढ़ा सके। इतना ही नहीं, चीन ने अपने सैनिकों के विकास के लिए एक श्वेत पत्र भी जारी किया है। ये भी पढ़े :कश्मीर मामले पर पाकिस्तान को एक और झटका, चीन को भी पड़ी लताड़