जहां हमे डॉक्टर और बड़े हरी साग सब्जियां (Leafy Vegetables) खाने के लिए कहते हैं वहीं बरसात (Monsoon) के मौसम सावन के महीने में ऐसा करने से मना कर दिया जाता है। आयुर्वेद के अनुसार इस मौसम में हरी साग सब्जियों के सेवन से शरीर में टैक्सिव लेवल काफी बढ़ सकता है। जिसके कारण बीमारियां होने की संभावना भी अधिक बढ़ जाती है। हम आपको बताते हैं कि आखिर क्या है इसका कारण…
ये है मुख्य कारण
इस मौसम में वातावरण में ह्यूयूमिडिटी ज्यादा हो जाती है। जो बैक्टीरिया और कीटाणु के प्रजनन का सबसे सही वक्त होता है। ये पत्तों पर ही प्रजनन करते हैं। इस कारण इन्हें ना खाना ही अच्छा होता है। यदि आप इस मौसम में पालक, मेथी, बथुआ, बैंगन, गोभी, पत्ता गोभी आदि खरीद रहे हैं तो इन्हें सावन में खाने से बचें। ये ऐसी सब्जियां हैं जिनमें कीट पतंग अधिक मात्रा में प्रजनन करते हैं। शोधों के अनुसार बरसात के मौसम में कीट पतंग ज्यादा पनपते हैं। इनके प्रजनन का सही समय और मौसम और जगह ये प्रत्तेदार सब्जियां ही होती हैं। इन्हीं पर वह अंडे देते हैं और पत्तों को खाकर उनका पोषण भी करते हैं।
कम खाना फायदेमंद
आयुर्वेद के अनुसार, इन दिनों जो लोग कम खाते हैं उनका शरीर अधिक वक्त तक फिट रहता है। जबकी अधिक खाने वाले लोगों को पेट आदि की परेशानी हो सकती है। यही कारण है कि इस महीने मे उपवास की परंपरा होती है। 12 घंटे तक उपवास करने से शरीर में डीटॉक्सिंग की प्रक्रिया शुरू होती है और बेकार कोशिकाओं को शरीर बाहर निकाल देता है। उपवास करने से नई कोशिकाओं के बनने में लाभ मिलता है।
उपवास करने से मिलता है ये लाभ
असल में, व्रत रखने से शरीर में कुछ ऐसे हॉर्मोन निकलते हैं जो फैटी टिश्यूज़ को हटाने में सहायता करते हैं। रीसर्च के अनुसार शॉर्ट टर्म फास्टिंग से शरीर का मेटाबॉलिज्म काफी तेजी से बढ़ता है जिससे वजन घटाने में काफी सहायता मिलती है।
पाचनतंत्र पर न पड़े असर
यदि बरसात के मौसम में आप पत्तेदार सब्जियों को खाते हैं तो इससे आपका पाचनतंत्र प्रभावित होता है और आप डायरिया, एसिडिटी, पेट में दर्द जैसी परेशानियों से घिर सकते हैं। ऐसे में उपवास रखकर आप इस परेशानी को दूर कर सकते हैं। इस तरह से आपको पेट में गैस कि समस्या से भी छुटकारा मिल सकेगा।
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