Sunday, December 7, 2025
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सोनू निगम के सुर थमे तो सतीश शाह की प्रेयर मीट में छा गया सन्नाटा, रूपाली गांगुली की आंखों से बह गया दर्द का सैलाब

सतीश शाह की प्रेयर मीट में सोनू निगम ने गाया भावुक गीत, रूपाली गांगुली की आंखें भर आईं। जानें कैसे संगीत, यादों और सन्नाटे में सजी अभिनेता की आखिरी श्रद्धांजलि।

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मुंबई के बांद्रा स्थित एक शांत हॉल में सोमवार शाम वो पल था जब हर चेहरा नम था। दिग्गज अभिनेता सतीश शाह को अंतिम विदाई देने के लिए इंडस्ट्री के तमाम कलाकार एक छत के नीचे इकट्ठा हुए थे। पूरे माहौल में एक अनकही चुप्पी थी, तभी मंच पर पहुंचे सोनू निगम। उन्होंने माइक संभाला, और धीरे-धीरे शुरू किया — “तेरे मेरे सपने अब एक रंग हैं…”। सुरों की उस मिठास में दर्द घुला हुआ था। हर स्वर के साथ ऐसा लगा मानो सतीश शाह का मुस्कुराता चेहरा सबकी आंखों के सामने फिर से जीवंत हो उठा हो।

गीत के बीच एक क्षण ऐसा भी आया जब सोनू निगम की आवाज़ लड़खड़ा गई। उन्होंने आंखें बंद कर माइक नीचे कर दिया — और वहां बैठे लोगों ने महसूस किया, किसी गायक ने सिर्फ गाना नहीं गाया था, उसने अपने दोस्त के लिए प्रार्थना की थी।

रूपाली गांगुली का टूटता सब्र

सभा में मौजूद कलाकारों में सबसे ज़्यादा भावुक नज़र आईं रूपाली गांगुली। सतीश शाह के साथ उन्होंने टीवी शो साराभाई वर्सेस साराभाई में ‘मोनिषा’ का किरदार निभाया था। जैसे ही सोनू निगम ने गीत खत्म किया, रूपाली अपनी कुर्सी से उठीं और हाथ जोड़कर मंच की ओर देखा। उनकी आंखों से आंसू थमने का नाम नहीं ले रहे थे।

 

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कहते हैं, सतीश शाह सेट पर हमेशा सभी को हंसा देते थे। लेकिन इस बार उनकी यादें सबको रुला गईं। वहां मौजूद कई कलाकारों ने बताया कि रूपाली कुछ पल तक कुछ बोल ही नहीं पाईं। उन्होंने बस इतना कहा — “सर, आपने हमें हंसना सिखाया, अब रोना भी सिखा गए।”
उस क्षण की खामोशी ने पूरे हॉल को थाम लिया। लोगों को ऐसा महसूस हुआ जैसे हर दीवार, हर रोशनी सतीश शाह के उन सुनहरे दिनों को याद कर रही हो जब उनकी हंसी से माहौल भर जाता था।

सुरों में सजी श्रद्धांजलि

सतीश शाह की याद में आयोजित इस प्रेयर मीट में केवल फिल्मी चेहरे ही नहीं, बल्कि उनके कॉलेज के पुराने दोस्त, परिवार और टेक्नीशियन भी मौजूद थे। किसी ने उनके साथ का अनुभव साझा किया, तो किसी ने उनके किए हुए छोटे-छोटे एहसान याद किए।
सोनू निगम ने सभा के अंत में कहा, “कुछ लोग चले जाते हैं, लेकिन उनकी हंसी की गूंज हमेशा हमारे भीतर जीवित रहती है। सतीश भाई उन्हीं में से एक हैं।”

सभा के बाद सभी ने मोमबत्तियाँ जलाईं, और कुछ पल का मौन रखा। ऐसा लगा मानो मुंबई की हवा में भी उस दिन एक अलग सी नमी थी — एक ऐसी नमी, जिसमें संगीत, यादें और अधूरी बातें घुली थीं।

जाते-जाते रूपाली गांगुली ने सतीश शाह की पुरानी तस्वीर को देखा और मुस्कुराते हुए कहा, “आप फिर किसी नए किरदार में लौटेंगे, हमें यकीन है।”
उनकी यह बात सुनकर वहां मौजूद हर दिल ने एक ही बात सोची — कुछ लोग कभी विदा नहीं होते, बस कहानी का रूप बदल लेते हैं।

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