दिल्ली। दुनिया में कुछ अच्छे और सकारात्मक कर्तव्यों के निर्वहन पर लोगों की टिप्पणी आती है। कभी-कभी यह टिप्पणी विश्वास को झकझोर देती है। अभिनेत्री रवीना टंडन ने दो लड़कियों को गोद लिया है। गोद लेने के फैसले को लेकर लोग कहा करते थे कि इसके चलते कोई उनसे शादी नहीं करेगा। वह कहती हैं कि मैं पूजा और छाया को गोद लेने के फैसले को अपनी जिंदगी के सबसे अच्छे निर्णयों में से एक मानती हूं। रवीना का मानना है कि आज मेरी ये बेटियां मेरी सबसे अच्छी दोस्त हैं। रवीना टंडन ने कहा कि मैं 1995 में सिर्फ 21 साल की थी। उस दौर में जब मैंने दो लड़कियों को गोद लेने का फैसला लिया तो लोगों ने मुझे डराया भी लेकिन यह अनुभव काफी शानदार था। उस समय रवीना टंडन का यह फैसला काफी सुर्खियों में रहा था और लोग रहते थे कि इससे रवीना टंडन का कॅरिअर बर्बाद भी हो सकता है। रवीना की इन दोनों बेटियों की अब शादी हो गई और दोनों के बच्चे हैं। वह कहती हैं कि दोनों को गोद लेने का फैसला जिदंगी के सबसे अच्छे निर्णयों में से एक था। महज 21 साल की उम्र में बेटियों को गोद लेने के सवाल पर वह कहती हैं कि मुझे उस वक्त कुछ ऐसा महसूस हुआ कि 21 साल की उम्र होना मायने नहीं रखता था बल्कि जिम्मेदारी निभाना माने रखता है। मैं उनके साथ गुजारे हर पल को याद करती हूं।
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उन्हें पहली बार बाहों में भरने से लेकर शादी के मंडप तक के जाने का अनुभव बहुत अच्छा रहा है। रवीना टंडन ने कहा कि उस दौरान बेटियों को गोद लेने को लेकर लोग कहते थे कि इससे उनकी शादी की संभावनाओं पर असर पड़ेगा। रवीना टंडन ने बताया कि उस वक्त मुझसे लोग कहते थे कि इससे मेरी शादी की संभावनाओं पर असर होगा। कोई मुझसे शादी नहीं करना चाहेगा क्योंकि कोई भी इस तरह का बोझ नहीं लेना चाहेगा। रवीना ने लोगों की टिप्पणी को दरकिनार करते हुए अपने निर्णय पर अडिग रहीं। ज्ञात हो कि रवीना टंडन ने फिल्म डिस्ट्रिब्यूटर अनिल थडानी से शादी की है। इस शादी से भी उनके दो बच्चे हैं, बेटी राशा और बेटा रणबीरवर्धन।
रवीना टंडन ने जिन बच्चियों को गोद लिया था। उनमें से एक छाया एयर होस्टेस हैं, जबकि पूजा इवेंट मैनेजर के तौर पर काम करती हैं। रवीना टंडन ने 2016 में छाया और पूजा को लेकर कहा था कि श्मेरी बेटियां मेरी सबसे अच्छी दोस्त हैं। मुझे याद है कि जब मेरी शादी थी तो वे मेरे साथ काम में बैठकर गई थीं और फिर मुझे मंडप तक ले गई थीं। अब मुझे यह मौका मिला है कि मैं उन्हें साथ लेकर चलूं। यह एक स्पेशल फीलिंग है। बेटियों की मां होना गर्व का विषय है।
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