मुंबई क्राइम ब्रांच ने बीते 4 फरवरी को पॉर्न फिल्म रैकेट का खुलासा किया था और 5 आरोपियों को गिरफ्तार किया था. थोड़े दिन की जांच के एक हफ्ते बाद ही मनसुख हिरेन हत्याकांड केस के बाद मुंबई पुलिस पर कई सारे सवालों की गाज गिरी थी. इसके बाद कई सारे सवाल जवाब के बाद मुंबई पुलिस के सीनियर सहित सिटी के कई पुलिस आधकारियों को का ट्रांसफर हो गया था.
बीच में ठप्प हो गयी जांच
मनसुख हिरेन हत्याकांड के केस के कारण पार्नोग्राफी केस को आगे बढ़ने का मौका नहीं मिला. अप्रैल 2001 में प्रापर्टी सेल ने एक चार्जशीट दाखिल की, इसमें राज कुंद्रा का नाम नही था. जब चार्जशीट फाइल हुई तो राज कुंद्रा को ये लगा कि पार्नोग्राफी केस खत्म हो गया है. इसी कारण राज और उनकी टीम अपने टीम बी पर काम करती रही. लेकिन जैसे ही क्राइम ब्रांच टीम में नये आधिकारियों ने एंट्री ली तो उन्होंने पुराने मामलों की फाइल खंगालनी शुरु कर दी. जिसके बाद उनके हाथ ये पार्नोग्राफी केस की फाइल उनके हाथ लगी.
टीम के हाथ लगे अहम सबूत
फाइलों को ठीक तरह से पढ़ने पर आधिकारियों को राज कुंद्रा (raj kundra) का पार्न रैकेट में लिंक सामने आया. तभी उनको राज कुंद्रा और उनके पी.ए उमेश कामत की व्हाट्सऐप चैट सामने आ गयी. इन मैसेज को पढ़ कर क्राइम ब्रांच को पता चला कि इस केस में राज कुंद्रा ही मुख्य मास्टरमाइंड हैं. सबूत हाथ लगते ही प्रापर्टी सेल ने इस केस पर बारीकी से काम किया. फिर खूब सारे सबूत इकट्ठा किये.
इस तरह आगे बढ़ेगा ये केस
19 जुलाई को मुंबई पुलिस ने पार्न फिल्म बनाने के आरोप में राज कुंद्रा को गिरफ्तार कर लिया. जिसके बाद इस केस को किस तरह आगे बढ़ाया जाए, इस पर विचार विमर्श किया गया.इसको लेकर मुंबई पुलिस और आलाधिकारियों के बीच एक मीटिंग की गयी. इसमें ये डिसाइड किया गया कि बिना अरेस्ट वॉरेंट के डायरेक्ट राज कुंद्रा के घर और ऑफिस में खोज जारी की फिर सबूत मिलने के बाद राज कुंद्रा के खिलाफ एक्शन लिया.
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