मनोज बाजपेयी (Manoj Bajpayee) ने ‘सत्या’, ‘शूल’, ‘तेवर’, ‘अलीगढ़’ और ‘गैंग्स ऑफ वासेपुर’ जैसी दमदार फिल्मों से ये बात तो साबित कर दी है कि एक्टिंग में उनसे कोई मुकाबला नहीं कर सकता है। आज वह अपना 53वां जन्मदिन मना रहे हैं। एक्टिंग की दुनिया में उनको 28 साल हो चुके हैं, लेकिन क्या आप जानते हैं कि यह समय ऐसा भी आया था जब वह आत्महत्या करने के बारे में सोचने लगे थे। आइए जानते हैं उनके जीवन का वह कठिन दौर।
झेले कई सारे रिजेक्शन
बिहार में जन्मे मनोज बाजपेई 9 साल की उम्र में ही एक्टर बनना चाहते थे और इसका फैसला भी वो ले लिया था पर मनोज के हालात उनके साथ नहीं थे। पर इन सब की बिना परवाह किए ही केवल 17 साल की उम्र में थिएटर में एक्टिंग सीखने के लिए मनोज चल दिए।
लोग मारते थे ताने
मनोज ने अपने पिता को एक लेटर लिखा और थिएटर से लोगों का दिल जीता, जिसके बाद उनके पिता ने उनको ₹200 दिए इस दौरान एक्टर को कई लोगों ने ताने मारे लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी और थिएटर में मन लगाकर एक्टिंग करने लगे।
अपने शुरुआती करियर में उनके साथ बहुत सारी दिक्कतें आई। एक इंटरव्यू में उन्होंने खुलासा किया कि उन्हें इतने रिजेक्शन मिल रहे थे और आर्थिक हालत इतनी खराब हो चुकी थी कि उनको वड़ा पाव भी काफी महंगा लगने लगा था यह दौर ऐसा था जब उनको ख्याल आने लगा था कि वह आत्महत्या कर लें।
दोस्त बने सहारा
मनोज बाजपेई ने इंटरव्यू में बताया कि ऐसे हालात में उनके दोस्तों को अंदाजा हो गया था इसीलिए कोई भी दोस्त उनको अकेला नहीं छोड़ता था। मनोज बाजपाई के दोस्तों ने उन्हें तब तक अकेला नहीं छोड़ा जब तक बॉलीवुड में उन्होंने अपनी धाक नहीं जमा ली।