सुशांत सिंह के सुसाइड केस (Sushant Singh Suicide Case) ने बॉलीवुड इंडस्ट्री को सवालों के चक्रव्यूह में ऐसा घेरा है, जिससे निकलना नामुमकिन सा लगने लगा है. इन दिनों नेपोटिज्म (Nepotism) को लेकर बहस तेज हो गई है. साथ ही बाहर से सिनेमा जगत (Film Industry) में आने वाले लोगों के साथ किस तरह का व्यवहार किया जाता है उससे भी पर्दा उठने लगा है. ऐसे में कई बॉलीवुड स्टार्स हैं जो नेपोटिज्म पर अपना खुलकर पक्ष रख रहे हैं तो वहीं कुछ स्टार किड्स जमकर ट्रोल हो रहे हैं. इसी बीच अब एक्टर गोविंदा (Govinda) की भी एंट्री हो गई है. जिसमें उन्होंने अपने साथ हुए बर्ताव का खुलासा किया है. गोविंदा ने ये भी बताया है कि उन्हें इंडस्ट्री में अपने आपको बनाए रखने के लिए किस-किस तरह की चीजों का सामना करना पड़ा है. साथ ही बॉलीवुड (Bollywood) में बन रहे कई कैंप पर भी उन्होंने खुलकर बात की है. गोविंदा का कहना है कि एक समय था जब टैलेंट को इंडस्ट्री में मौका दिया जाता था. लेकिन अब ऐसे हालात हैं कि इंडस्ट्री में केवल 4 से 5 लोग ही बिजनेस चला रहे हैं.
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दरअसल एक ऐसा दौर था जब एक्टर गोविंदा का इंडस्ट्री पर डंका बजता था. फिलहाल इन दिनों बॉलीवुड से वो काफी दूरी बना चुके हैं. उनका कहना है कि ‘जहां संघर्ष हमें अच्छा इंसान बनाता है, हम उनसे कैसे निपटते हैं ये अपने आपको परिभाषित करता है’. हाल ही में दिए एक इंटरव्यू के दौरान गोविंदा ने अपने फिल्मी करियर पर बहुत सारी बातें की है. हिंदुस्तान टाइम्स के हवाले से आई एक रिपोर्ट के मुताबिक गोविंदा ने बताया कि कैसे उनके माता-पिता निर्मला देवी और अरुण कुमार आहूजा के एक्टर्स होने के बावजूद उन्हें इंडस्ट्री में कड़ी मशक्कत करनी पड़ी है. गोविंदा ने कहा कि ‘मेरे माता-पिता के सिनेमा जगत छोड़ने और फिर मेरी एंट्री होने में पूरे 33 सालों का फर्क था. जब तक इंडस्ट्री में मैनें कदम रखा तब तक काफी सारे नए प्रोड्यूसर्स आ चुके थे. जिन्हें मेरे परिवार के बारे में कुछ नहीं पता था.
हालात ऐसे थे कि उन लोगों से एक मुलाकात करने के लिए कई घंटों का लंबा इंतजार करना पड़ता था. उन्होंने कहा कि प्रोड्यूसर के ऐसे व्यवहार को मैं अच्छी तरह से समझ चुका था कि आखिर वो ऐसा किस लिए करते हैं लेकिन इसके बाद भी मैंने इन चीजों को अपने और अपनी कला के बीच कभी नहीं आने दिया’. इस दौरान इंटरव्यू में गोविंदा ने अपनी उस सोच के बारे में भी जिक्र किया जब उन्हें ये लगा था कि अब वो इंडस्ट्री में कभी सफलता की सीढी नहीं चढ़ सकेंगे. गोविंदा ने बताया कि इसके बाद मैनें राज कपूर से लकेर जीतेंद्र, अमिताभ बच्चन, विनोद खन्ना और राजेश खन्ना जैसे बड़े बॉलीवुड सुपरस्टार्स की स्ट्रग्ल से सबक सीखा. उनका ये भी मानना है कि ‘इस इंडस्ट्री में एक सटीक नजरिया होना ज्यादा जरूरी है. ऐसे में आप या तो संघर्ष के रास्तों को चुन लें. या फिर हर किसी की बात दिल पर लगाकर बैठ जाएं.
आगे गोविंदा ने बातचीत करते हुए कहा कि मैं अपने अनुभव से ये कह सकता हूं ‘फिल्म मात्र एक कला है. लेकिन आज के समय इसे भी लोगों ने बिजनेस बनाकर रख दिया है. उन्होंने कहा कि कलाकारी करने वाला भी एक इंसान ही है, न कि कोई प्रोडक्ट है. इसलिए उस शख्स को मौका दो जो टैलेंटेड है’. ‘पहले उन्हें काम दिया जाता था जिनके पास टैलेंट था. यहां तक कि उस दौर में सभी फिल्मों को थिएटर में एक जैसा अवसर दिया जाता था. लेकिन अब, केवल 4 से 5 लोग ही बचे हैं जो इस बिजनेस को चला रहे हैं. वही ये निर्णय लेते हैं कि जो लोग उनके करीबी नहीं है उनकी फिल्म तरीके से रिलीज होंगी या नहीं. यहां तक कि मेरी खुद की कई फिल्मों के साथ इस तरह का बर्ताव हुआ है’. फिलहाल गोविंदा का निशाना किन 4 से 5 लोगों पर था ये तो कहना मुश्किल है, लेकिन एक बात साफ है कि इंडस्ट्री में भेदभाव अब एक प्रचलन बन गया है. जिससे टैंलेटेड लोगों को जिंदगी भर सिर्फ संघर्ष ही करना पड़ता है.
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