बिहार के दरभंगा जिले से एक सनसनीखेज मामला सामने आया है, जहां एक युवक ने अपने सोशल मीडिया अकाउंट से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ अपशब्दों का प्रयोग किया। यह पोस्ट कुछ ही घंटों में वायरल हो गई और लोगों में रोष फैल गया। कई स्थानीय नागरिकों ने इसे देश के सर्वोच्च पद का अपमान बताते हुए संबंधित थाने में शिकायत दर्ज कराई। पुलिस ने मामले को गंभीरता से लेते हुए तुरंत साइबर सेल की मदद से जांच शुरू की।
आरोपी की गिरफ्तारी और कानूनी कार्रवाई
शिकायत के आधार पर पुलिस ने त्वरित कार्रवाई करते हुए आरोपी युवक को उसके घर से गिरफ्तार कर लिया। युवक दरभंगा जिले के एक ग्रामीण क्षेत्र का निवासी बताया जा रहा है। उस पर भारतीय दंड संहिता की कई धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया है, साथ ही आईटी एक्ट के अंतर्गत भी कार्रवाई की गई है। पुलिस अधिकारियों के मुताबिक, आरोपी को न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया है और उसके सोशल मीडिया अकाउंट की पूरी जांच की जा रही है ताकि यह पता चल सके कि उसने पहले भी कोई आपत्तिजनक गतिविधि की है या नहीं।
सोशल मीडिया की आज़ादी बनाम ज़िम्मेदारी पर बहस
यह घटना एक बार फिर इस बहस को जन्म देती है कि क्या सोशल मीडिया पर अभिव्यक्ति की आज़ादी का मतलब यह है कि कोई भी किसी के खिलाफ कुछ भी कह सकता है? जहां एक ओर कुछ लोग इस गिरफ्तारी को सही ठहरा रहे हैं और इसे डिजिटल अनुशासन की जरूरत बता रहे हैं, वहीं कुछ लोग इसे व्यक्तिगत अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर हमला बता रहे हैं। हालांकि प्रशासन का साफ कहना है कि किसी भी प्रकार की अभद्र टिप्पणी या नफरत फैलाने वाली पोस्ट पर कार्रवाई की जाएगी, चाहे वह किसी के भी खिलाफ क्यों न हो।
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