मध्य प्रदेश कैडर के IAS संतोष वर्मा इन दिनों अपने एक बयान के कारण पूरे प्रदेश की राजनीतिक और सामाजिक बहस के केंद्र में हैं। अजाक्स के प्रांतीय अधिवेशन में दिए गए उनके ‘ब्राह्मण बहू’ संबंधी वक्तव्य ने न सिर्फ ब्राह्मण समाज को आहत किया बल्कि पूरे सोशल मीडिया पर तीखी प्रतिक्रियाओं को जन्म दिया। भरे मंच से यह कहते हुए कि, “जब तक रोटी-बेटी का व्यवहार शुरू नहीं होगा, तब तक आरक्षण की जरूरत रहेगी”, वर्मा अचानक उस बहस में आ गए, जिससे लोग उनके पुराने विवादों और उन पर लगे आरोपों को फिर उछालने लगे हैं। मामले के तूल पकड़ने पर उन्होंने सफाई भी दी, लेकिन प्रतिक्रिया का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा। वक्तव्य पर उठे सवालों के साथ-साथ 2021 में सामने आए कथित दस्तावेज़ फर्जीवाड़े और निजी जीवन से जुड़े आरोप दोबारा चर्चा में आ गए हैं।
प्रमोशन की दौड़ और जाली कागज़ों का विवाद
IAS संतोष वर्मा का नाम वर्ष 2021 में एक बड़े विवाद में सामने आया था, जब उन पर प्रमोशन हासिल करने के लिए अदालत में कथित रूप से जाली दस्तावेज़ पेश करने का गंभीर आरोप लगा था। इस मामले में जांच के दौरान यह दावा किया गया था कि उन्होंने इंडोर की एक विशेष अदालत में दो आदेश नकली रूप में प्रस्तुत किए—एक में खुद के बरी होने का उल्लेख था और दूसरे में समझौते का हवाला दिया गया था। इन दस्तावेज़ों पर विशेष न्यायाधीश विजेंद्र रावत के नाम का इस्तेमाल किया गया था, जबकि न्यायाधीश ने स्पष्ट किया था कि जिस तारीख का आदेश दिखाया गया है उस दिन वे छुट्टी पर थे। इस विसंगति के सामने आने पर मामला गंभीर हो गया और 27 जून 2021 को पुलिस ने संतोष वर्मा को गिरफ्तार किया। कई सप्ताह तक जेल में रहने के बाद उन्हें जमानत मिली। यह आरोप अभी भी चर्चा का विषय है और उनका पूरा रिकॉर्ड फिर से सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है।
लिव-इन, धोखे और धमकी के आरोपों वाली पुरानी FIR फिर सुर्खियों में
IAS संतोष वर्मा का विवाद केवल उनके पेशेवर जीवन तक सीमित नहीं है। सोशल मीडिया पर लोग उस पुराने केस का भी ज़िक्र कर रहे हैं, जिसमें 2016 में इंदौर के लसूड़िया थाने में एक महिला ने उनके खिलाफ शिकायत दर्ज कराई थी। महिला ने आरोप लगाया था कि संतोष वर्मा ने अपनी शादीशुदा होने की जानकारी छिपाकर रिश्ते की शुरुआत की और शादी का भरोसा देकर उन्हें लिव-इन में रखा। FIR में मारपीट, धमकी और शोषण जैसे गंभीर आरोप शामिल थे। यह भी दावा किया गया कि इस केस को कमज़ोर करने के लिए ही बाद में फर्जी दस्तावेज़ों का खेल रचा गया था, हालांकि कानूनी प्रक्रिया अभी भी जारी है और मामला न्यायालय में विचाराधीन है। इन पुराने आरोपों ने ‘बयान विवाद’ के बीच इस मामले को और भी संवेदनशील बना दिया है।
वर्तमान स्थिति और बढ़ती राजनीतिक तपिश
बयान पर जारी विवाद और पुराने मामलों की ताज़ा चर्चा ने IAS संतोष वर्मा को एक बार फिर आलोचनाओं के घेरे में ला दिया है। ब्राह्मण समाज ने उनके वक्तव्य को अप्रिय और सामाजिक रूप से अस्वीकार्य करार दिया है, वहीं वर्मा का कहना है कि उनका मकसद सामाजिक समरसता के संदर्भ में बात करना था। विशेषज्ञों का कहना है कि विवाद ऐसे समय में भड़का है जब मध्य प्रदेश में सामाजिक राजनीतिक संतुलन का मुद्दा पहले से ही संवेदनशील है। जनता का एक बड़ा हिस्सा यह सवाल कर रहा है कि जिम्मेदार प्रशासनिक पदों पर बैठे अधिकारियों पर बार-बार ऐसे आरोप क्यों सामने आते हैं। दूसरी ओर, समर्थक यह तर्क दे रहे हैं कि सभी आरोप न्यायालय के अधीन हैं और अंतिम निष्कर्ष न्यायिक प्रक्रिया के बाद ही सामने आएंगे। फिलहाल, ‘ब्राह्मण बहू’ वाले बयान ने जनता को संतोष वर्मा के उस पूरे विवादित अध्याय से फिर रूबरू करा दिया है, जिसे लोग अब तक भूल चुके थे।
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