फिल्म इंडस्ट्री के दिग्गज लेखक सलीम खान ने हाल ही में अपने घर की खान-पान की आदतों और धार्मिक मान्यताओं पर खुलकर बात की. उन्होंने साफ कहा कि उनके घर में बीफ का सेवन कभी नहीं किया गया. यह फैसला न केवल धार्मिक दृष्टिकोण से बल्कि सामाजिक और सांस्कृतिक परंपरा का भी हिस्सा रहा है. सलीम खान का मानना है कि इंसान का धर्म उसकी सोच और इंसानियत से तय होता है, न कि सिर्फ खाने-पीने की आदतों से. यही कारण है कि उनके घर में सभी धर्मों का सम्मान करते हुए परंपराओं को अपनाया जाता है.
इंटरफेथ शादी पर सलीम खान का विचार
सलीम खान ने अपनी इंटरफेथ शादी को लेकर भी बड़ा बयान दिया. उन्होंने कहा कि धर्म से ऊपर इंसानियत और आपसी समझ सबसे ज्यादा मायने रखती है. शादी का रिश्ता विश्वास और आपसी तालमेल पर टिकता है, न कि सिर्फ धर्म पर. उनकी जिंदगी इस बात की मिसाल है कि कैसे अलग-अलग धर्मों के लोग एक ही छत के नीचे रहते हुए एक-दूसरे की परंपराओं और संस्कृतियों को सम्मान दे सकते हैं. यही कारण है कि आज उनका परिवार इंडस्ट्री और समाज के लिए प्रेरणा बनकर खड़ा है.
गणपति उत्सव और धर्म के प्रति खुला नजरिया
फ्री प्रेस जर्नल से बातचीत में सलीम खान ने बताया कि उनके परिवार में गणपति उत्सव मनाने की शुरुआत उनके पिता ने की थी, जब वे इंदौर में डीएसपी के पद पर कार्यरत थे. उनके पिता हमेशा हिंदू किरायेदारों और दोस्तों के साथ मिलकर यह त्योहार मनाते थे. उसी परंपरा को आगे बढ़ाते हुए आज भी खान परिवार गणेश चतुर्थी धूमधाम से मनाता है. सलीम खान ने कहा कि धर्म का सही मतलब मेल-जोल, भाईचारा और इंसानियत है, और यही सोच उनके परिवार की नींव है.
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