Friday, December 5, 2025
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दिन चाय बेचकर जोड़ता रहा सिक्के, फिर जिस दिन बेटी को दिलाई स्कूटी… उस पल ने बना दिया उसे हीरो!

एक पिता का प्यार और मेहनत बनी मिसाल — सालों तक सिक्के जोड़कर बेटी को दिलाई ड्रीम स्कूटी, शोरूम में छलके सबके आंसू।

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हर रोज़ की ज़िंदगी में कुछ कहानियाँ ऐसी होती हैं जो दिल को छू जाती हैं, प्रेरित कर जाती हैं और यह एहसास दिलाती हैं कि पिता का प्यार किसी वरदान से कम नहीं। एक ऐसी ही कहानी इन दिनों सोशल मीडिया पर वायरल हो रही है — एक चाय बेचने वाले पिता की, जिसने सालों तक सिक्के जोड़-जोड़कर अपनी बेटी को उसकी ड्रीम स्कूटी खरीदकर दी।

यह कहानी सिर्फ एक बाइक खरीदने की नहीं, बल्कि उस अटूट जज़्बे की है जो हर पिता अपनी संतान के सपनों को पूरा करने में दिखाता है। शोरूम में जब यह चायवाला पिता अपनी बेटी के साथ पहुंचा, तो वहां मौजूद हर आंख नम हो उठी।

सिक्कों में छिपा सपना: पिता की अनोखी मेहनत

गांव के एक कोने में बनी छोटी सी चाय की दुकान। वहीं बैठकर चौधरी नाम के यह शख्स रोज़ सैकड़ों लोगों को चाय पिलाते हैं। लेकिन किसी को नहीं पता था कि उनकी कमाई का हर सिक्का एक बड़े ख्वाब के लिए सुरक्षित हो रहा है।

चौधरी की बेटी ने एक दिन कहा था — “पापा, जब मैं कॉलेज जाऊं तो अपनी खुद की स्कूटी से जाना चाहती हूं।” बस, उस दिन से पिता ने यह ठान लिया कि चाहे कितनी भी मुश्किलें आएं, वह बेटी को स्कूटी जरूर दिलाएंगे।

दिन-रात की मेहनत, गर्मी-सर्दी में बिना छुट्टी के काम, और हर चाय के कप से बचाए गए कुछ पैसे — यही थे उनके ‘सपनों की गाड़ी’ के हिस्से। कुछ लोगों ने मज़ाक उड़ाया, कुछ ने कहा यह नामुमकिन है, लेकिन चौधरी का विश्वास कभी नहीं टूटा।

वह दिन आखिर आ ही गया जब पिता ने अपने सपनों का बोझ — यानी सिक्कों से भरा थैला — लेकर शोरूम का दरवाज़ा खोला।

कर्मचारियों को यह देखकर पहले हैरानी हुई, फिर जब कहानी सुनी तो हर कोई भावुक हो गया। पिता ने कहा “बेटी ने कभी कुछ मांगा नहीं, ये उसका पहला सपना था। मैंने वादा किया था कि उसके कॉलेज जाने से पहले स्कूटी उसके पास होगी।” शोरूम के कर्मचारियों ने खुद गिनती में मदद की। घंटों तक सिक्के गिने गए — कोई 2 रुपये का, कोई 5 का, कोई 10 का — लेकिन हर सिक्के के पीछे था एक पिता का समर्पण, एक बेटी की मुस्कान।

वीडियो में दिखता है कि जैसे ही पिता ने स्कूटी की चाबी बेटी के हाथ में दी, वह भावुक होकर रो पड़ी। उसने पिता के पैर छुए, और शोरूम में मौजूद लोग तालियां बजाने लगे।

बेटी की मुस्कान बनी पिता की पूंजी

चौधरी ने मीडिया से कहा “मेरे पास पैसे नहीं थे, लेकिन हौसला था। जब लोग कहते थे कि बेटी का सपना बड़ा है, मैं मुस्कुराकर कहता था बस थोड़ा वक्त और।”
उनकी बेटी ने कहा — “मैं जानती थी पापा बहुत मेहनत करते हैं, लेकिन उन्होंने मेरे लिए जो किया, उसे मैं जिंदगीभर नहीं भूलूंगी।”

स्कूटी लेते वक्त उसने कहा कि यह सिर्फ एक गाड़ी नहीं, बल्कि उसके पिता का आशीर्वाद है। उसने यह भी बताया कि वह अब कॉलेज जाने के बाद पार्ट-टाइम पढ़ाई के साथ पिता की दुकान पर भी मदद करना चाहती है।

कई लोगों के लिए बनी प्रेरणा

इस घटना ने उन लाखों लोगों को प्रेरित किया है जो सोचते हैं कि सपने सिर्फ पैसों से पूरे होते हैं।
यह कहानी साबित करती है कि अगर हिम्मत और इरादा मजबूत हो, तो हर मुश्किल आसान हो जाती है।

चाय बेचने वाले इस पिता ने यह दिखा दिया कि असली अमीरी पैसों में नहीं, बल्कि दिल में होती है। कई नामचीन हस्तियों ने भी इस वीडियो को शेयर करते हुए लिखा “हर बेटी को ऐसे पिता की जरूरत है और हर पिता को ऐसी बेटी की।”

यह कहानी एक सामाजिक संदेश भी देती है — कि चाहे हालात कितने भी कठिन हों, शिक्षा और सपनों में निवेश कभी व्यर्थ नहीं जाता।
जब एक चाय बेचने वाला पिता अपनी बेटी के सपने को साकार कर सकता है, तो समाज में बाकी लोगों को भी यह समझना चाहिए कि बेटियां किसी से कम नहीं।
यह कहानी उस सोच को भी चुनौती देती है जो अभी भी बेटियों की शिक्षा और स्वतंत्रता पर सवाल उठाती है।

आज वह स्कूटी सिर्फ एक वाहन नहीं, बल्कि पिता के त्याग, मेहनत और प्रेम की निशानी बन गई है। गांव के लोग जब भी चौधरी की दुकान पर आते हैं, स्कूटी देखकर कहते हैं “ये सिर्फ मशीन नहीं, एक पिता की जीत है।”

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