संसद के मानसून सत्र में मंगलवार को उस वक्त सन्नाटा छा गया जब शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) की राज्यसभा सांसद प्रियंका चतुर्वेदी ने सरकार से भारत और पाकिस्तान के बीच क्रिकेट मैच पर प्रतिबंध लगाने की मांग कर दी। चतुर्वेदी ने कहा कि जब भारत की सेना सीमा पार जाकर आतंकवाद के खिलाफ ऑपरेशन सिंदूर जैसी कार्रवाई करती है, तो ऐसे में पाकिस्तान के साथ क्रिकेट जैसे खेल संबंध बनाना राष्ट्रीय भावना के साथ समझौता है। उन्होंने यह बयान केंद्र सरकार की पाकिस्तान नीति पर सवाल उठाते हुए दिया।
“मैदान पर भी हो सख्ती, न सिर्फ सीमा पर”
प्रियंका चतुर्वेदी ने संसद में जोर देते हुए कहा, “अगर भारत और पाकिस्तान के बीच कोई मैच नहीं होता, तो यह ऑपरेशन सिंदूर की असली सफलता मानी जाएगी। अब समय आ गया है कि सिर्फ सीमा पर नहीं, मैदान पर भी सख्ती दिखाई जाए। क्रिकेट जैसे लोकप्रिय खेल के जरिए हम पाकिस्तान को वैश्विक मंच दे रहे हैं, जो सरासर गलत है।” उन्होंने यह भी कहा कि देशभक्ति केवल भाषणों में नहीं, बल्कि नीतियों और फैसलों में झलकनी चाहिए।
राजनीतिक प्रतिक्रियाओं का दौर शुरू
प्रियंका चतुर्वेदी के इस बयान के बाद सियासी गलियारों में बहस छिड़ गई है। जहां कुछ विपक्षी नेताओं ने उनके बयान को “एक जरूरी बहस की शुरुआत” बताया, वहीं कई सत्तारूढ़ दल के नेताओं ने इसे “जनभावनाओं से खेलने की कोशिश” कहा। सोशल मीडिया पर भी यह मुद्दा ट्रेंड करने लगा है। अब देखना यह होगा कि सरकार इस संवेदनशील मांग पर क्या रुख अपनाती है। क्या वाकई भारत-पाक क्रिकेट मैचों पर बैन लगेगा? आने वाले दिनों में इस पर फैसला संभावित है।
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