2014 में जब नरेंद्र मोदी ने वाराणसी से लोकसभा चुनाव लड़ने का फैसला लिया, तब किसी ने नहीं सोचा था कि यह कदम बीजेपी की किस्मत को बदल देगा। उस समय गुजरात के मुख्यमंत्री रहे मोदी ने यूपी की ज़मीन से चुनाव जीतकर प्रधानमंत्री की कुर्सी संभाली। इसके बाद बीजेपी को यूपी में ऐतिहासिक जीत मिली—2014 के लोकसभा चुनाव में पार्टी ने 80 में से 71 सीटें जीतीं, जो कि 2009 की सिर्फ 10 सीटों की तुलना में चौंकाने वाली छलांग थी। यही नहीं, पार्टी का वोट शेयर भी 15% से बढ़कर करीब 43% तक जा पहुंचा।
विधानसभा में भी चला मोदी मैजिक, बना भगवा किला
लोकसभा में जीत के बाद मोदी मैजिक का असर 2017 के उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में भी साफ दिखाई दिया। बीजेपी ने 312 सीटें जीतकर राज्य में प्रचंड बहुमत की सरकार बनाई और विरोधी पार्टियों को हाशिये पर धकेल दिया। इसके बाद 2019 के लोकसभा चुनाव में पार्टी ने 62 सीटें जीतीं और 2022 के विधानसभा चुनाव में 255 सीटों पर कब्जा जमाया। इन नतीजों ने यह साबित कर दिया कि मोदी का चेहरा यूपी की राजनीति में सबसे बड़ा फैक्टर बन चुका है।
अब क्या फिर से मोदी का यूपी से जुड़ना बनेगा गेमचेंजर?
2024 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी को यूपी में बड़ा झटका लगा। पार्टी महज 33 सीटों पर सिमट गई, जबकि विपक्षी गठबंधनों ने उसे कड़ी चुनौती दी। अब जब पीएम मोदी फिर से यूपी में ज्यादा सक्रिय हो रहे हैं, सवाल उठने लगे हैं—क्या यह कदम बीजेपी की डूबती नैया को फिर से पार लगाएगा? राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यदि मोदी 2025-26 तक यूपी में फोकस बनाए रखते हैं, तो 2027 के विधानसभा चुनाव और 2029 के लोकसभा चुनाव में फिर से बड़ा उलटफेर संभव है।
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