बिहार की राजनीति में एक बार फिर लालू परिवार सुर्खियों में आ गया है। इस बार तीखी बयानबाजी की शुरुआत की है तेज प्रताप यादव ने, जिन्होंने न सिर्फ अपनी छोटी बहन रोहिणी आचार्य से जुड़े विवाद पर खुलकर नाराज़गी जताई, बल्कि आरजेडी के नेतृत्व पर भी सीधे-सीधे सवाल दाग दिए। Tej Pratap Yadav News से जुड़ी यह घटना फिलहाल बिहार की सियासत का सबसे बड़ा मुद्दा बनी हुई है।
तेज प्रताप ने अपने बयान में जो सबसे ध्यान खींचने वाली बात कही, वह थी—“25 से 5 पर आने में देर नहीं लगेगी।” यह चेतावनी न सिर्फ पार्टी, बल्कि पूरे राजनीतिक गलियारे में हलचल पैदा कर गई।
रोहिणी विवाद का बड़ा असर
लालू प्रसाद यादव की बेटी रोहिणी आचार्य ने पिछले दिनों परिवार से दूरी बनाने और राजनीतिक रिश्ते तोड़ने का ऐलान किया था। इस घोषणा ने पहले ही आरजेडी समर्थकों को चौंका दिया था, लेकिन तेज प्रताप की प्रतिक्रिया ने स्थिति को और गंभीर बना दिया। ट्वीट के जरिए तेज प्रताप ने सवाल किया “एक-एक कर सबको निकाल दोगे तो रहेगा कौन? परिवार बिखर जाएगा तो पार्टी भी बच नहीं पाएगी।” उनका इशारा सीधे लालू परिवार और पार्टी नेतृत्व की ओर था, जिसमें वे यह बताना चाहते थे कि आंतरिक मतभेद अब खतरनाक स्तर पर पहुंच चुके हैं।
Tej Pratap Yadav News में यह बयान अब मुख्य विषय बन चुका है और यह साफ दिखाता है कि परिवार के भीतर नाराज़गी पहले जितनी दबाई नहीं जा सकती।
तेजस्वी पर तंज या चिंता?
तेज प्रताप यादव का “25 से 5” वाला बयान दर्शाता है कि वे पार्टी की लगातार गिरती सीटों और कमजोर होते जनाधार पर चिंतित हैं। यहां 25 और 5 का संदर्भ आरजेडी की सीटों से जोड़ा जा रहा है। कई राजनीतिक विश्लेषक मान रहे हैं कि तेज प्रताप यह संकेत दे रहे थे कि अगर पार्टी के अंदर मतभेद बढ़ते रहे, और तेजस्वी यादव एकतरफा फैसले लेते रहे, तो आरजेडी विधानसभा में अपनी ताकत खो सकती है। तेज प्रताप यादव का इस बयान यह साफ कर दिया है कि परिवार के भीतर सियासी संतुलन बिगड़ रहा है और आने वाले दिनों में और विवाद देखने को मिल सकते हैं।
बयानबाज़ी से बढ़ा तनाव
तेज प्रताप का यह बयान सिर्फ भावनात्मक प्रतिक्रिया नहीं, बल्कि एक गहरी राजनीतिक बेचैनी का संकेत है।
कहा जा रहा है कि हाल के चुनावों में आरजेडी की सीटें कम होने से तेज प्रताप काफी नाखुश हैं। वहीं, रोहिणी आचार्य के फैसले को लेकर पार्टी के भीतर संवाद की कमी भी विवाद को बढ़ा रही है। कई वरिष्ठ नेता मानते हैं कि आरजेडी को अगर एकजुट रहना है तो तेज प्रताप और तेजस्वी के बीच संवाद और विश्वास दोबारा मजबूत करना होगा।
लेकिन दूसरी ओर, कुछ नेताओं का कहना है कि तेज प्रताप की शैली हमेशा से बेबाक रही है, और वे अपनी बात सीधे बोलने के लिए जाने जाते हैं। यही कारण है कि तेज प्रताप यादव का ये बयान बार-बार चर्चा में रहता है। वर्तमान परिस्थिति में यह साफ है कि लालू परिवार के भीतर तनाव सिर्फ घरेलू विवाद नहीं, बल्कि आरजेडी की राजनीतिक दिशा के लिए भी खतरा बन चुका है।
परिवार और पार्टी दोनों पर संकट
तेज प्रताप का बयान एक संकेत है कि पार्टी के भीतर गहरी खींचतान चल रही है।
पिछले कुछ महीनों में आरजेडी के भीतर लगातार असहमति, टिकट विवाद, नेतृत्व को लेकर मतभेद और परिवार में बढ़ती दूरी ने पार्टी की छवि को काफी नुकसान पहुँचाया है। आने वाले कुछ दिनों में स्थिति और स्पष्ट होगी। लेकिन एक बात तय है । तेज प्रताप यादव का ये बयान अब बिहार की राजनीति में एक बड़ी बहस बन चुका है।
यदि आंतरिक मतभेद ऐसे ही चलते रहे तो आरजेडी की सीटों पर और असर पड़ सकता है, जिसका संकेत तेज प्रताप पहले ही दे चुके हैं।
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