Rahul Gandhi Speech: जातिगत जनगणना को लेकर कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने एक ऐसा बयान दिया है, जिसने राजनीतिक गलियारों में हलचल मचा दी है। राहुल गांधी ने खुलकर स्वीकार किया कि कांग्रेस की पिछली सरकारों में एक महत्वपूर्ण चूक रह गई थी—ओबीसी समाज की असल स्थिति को समझने और जातिगत जनगणना को अमल में लाने की। उन्होंने कहा, “यह सच है कि कांग्रेस सरकार में मुझसे एक गलती हो गई। हम ओबीसी समाज की पीड़ा और उनकी वास्तविक हिस्सेदारी को उस स्तर पर नहीं समझ पाए, जैसी ज़रूरत थी।”
‘दलित-आदिवासी दिखते हैं, ओबीसी दिखते नहीं’
राहुल गांधी ने आगे कहा कि दलितों और आदिवासियों की परेशानियों को देख पाना और समझना अपेक्षाकृत आसान होता है क्योंकि उनके संघर्ष लंबे समय से सामने रहे हैं। लेकिन ओबीसी समाज के मुद्दे इतने स्पष्ट नहीं होते। उन्होंने कहा, “ओबीसी समाज को शिक्षा, नौकरियों और संसाधनों में जितना हिस्सा मिलना चाहिए था, वह नहीं मिल सका। इसकी एक वजह ये भी है कि उनके आंकड़े ही कभी पूरी तरह सामने नहीं आए।” इस बयान के ज़रिए उन्होंने जातिगत जनगणना की तत्काल आवश्यकता को रेखांकित किया।
चुनावी रणनीति या आत्मचिंतन?
राहुल गांधी की यह टिप्पणी आगामी चुनावों के मद्देनज़र काफी अहम मानी जा रही है। कांग्रेस अब ‘जातिगत न्याय’ को अपने प्रमुख एजेंडों में शामिल कर चुकी है और इस बयान के ज़रिए राहुल गांधी ने ओबीसी मतदाताओं को यह संदेश देने की कोशिश की है कि अब कांग्रेस इस मुद्दे को गंभीरता से ले रही है। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यह आत्मस्वीकृति राहुल की राजनीतिक रणनीति का हिस्सा भी हो सकती है, जिससे वह एक ज़िम्मेदार और आत्मचिंतनशील नेता की छवि पेश कर रहे हैं।
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