Mehbooba Mufti Delhi Blast Statement: लाल किले के पास हुए धमाके और फरीदाबाद से बरामद विस्फोटकों के बाद जब पूरा देश सख्त सुरक्षा जांच और आतंकी नेटवर्क की तहकीकात में जुटा है, उसी बीच जम्मू-कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री और पीडीपी प्रमुख महबूबा मुफ्ती के बयान ने नया विवाद खड़ा कर दिया है।
महबूबा ने कहा है कि जांच एजेंसियों को गिरफ्तार आरोपियों के माता-पिता या परिवारवालों को परेशान नहीं करना चाहिए। उन्होंने एक्स (पूर्व ट्विटर) पर लिखा, “जांच एजेंसियों को निष्पक्ष रूप से काम करना चाहिए। किसी आरोपी के परिवार को तंग करना न्याय के सिद्धांतों के खिलाफ है।”
उनका यह बयान ऐसे वक्त में आया है जब दिल्ली पुलिस और एनआईए मिलकर इस मामले की जांच कर रही हैं और आतंकियों के नेटवर्क की कई परतें खुल चुकी हैं।
गिरफ्तारी के बाद आया विवादित बयान
सूत्रों के मुताबिक, दिल्ली ब्लास्ट मामले में गिरफ्तार डॉक्टर का कनेक्शन फरीदाबाद में बरामद हुए विस्फोटक पदार्थों और विदेशी नेटवर्क से जुड़ा बताया जा रहा है। इस बीच, महबूबा मुफ्ती का “परिजनों को परेशान न करने” वाला बयान कई राजनीतिक दलों को रास नहीं आया।
बीजेपी प्रवक्ता ने कड़ी प्रतिक्रिया देते हुए कहा, “जब देश के दुश्मनों के खिलाफ जांच हो रही है, तब महबूबा मुफ्ती जैसे नेताओं के ऐसे बयान केवल आतंकियों का मनोबल बढ़ाते हैं।” वहीं कांग्रेस ने भी इसे “गैरजिम्मेदाराना” करार देते हुए कहा कि इस तरह के बयानों से चल रही जांच पर असर पड़ सकता है।
वहीं, जम्मू-कश्मीर की पीडीपी के सूत्रों ने बताया कि महबूबा का मकसद जांच पर सवाल उठाना नहीं, बल्कि परिवारों को न्यायिक दायरे में सुरक्षित रखना था।
दिल्ली ब्लास्ट केस में जांच तेजी
दिल्ली ब्लास्ट और फरीदाबाद विस्फोटक मामले में अब NIA, स्पेशल सेल, और IB की टीमें एक साथ काम कर रही हैं। सूत्रों का कहना है कि गिरफ्तार डॉक्टर से लगातार पूछताछ हो रही है और उसके मोबाइल व लैपटॉप से कई अहम डिजिटल सबूत मिले हैं।
खुफिया एजेंसियों को शक है कि डॉक्टर का संबंध किसी विदेशी मॉड्यूल से जुड़ा है, जिसने दिल्ली और एनसीआर में बड़ी साजिश की योजना बनाई थी। जांच एजेंसियों ने अब तक 6 मोबाइल फोन, कुछ अंतरराष्ट्रीय सिम कार्ड और एन्क्रिप्टेड मैसेजिंग ऐप के चैट रिकॉर्ड जब्त किए हैं।
इन सबके बीच महबूबा मुफ्ती का यह बयान जांच की संवेदनशीलता को देखते हुए सुरक्षा एजेंसियों के बीच चर्चा का विषय बन गया है। अधिकारियों का कहना है कि किसी भी राजनीतिक बयान से जांच की दिशा प्रभावित नहीं होगी और एजेंसियां केवल तथ्यों के आधार पर आगे बढ़ेंगी।
सियासी एजेंडे के केंद्र में फिर महबूबा
इसके बाद कश्मीर की सियासत में भी उथल-पुथल मच गई है। कुछ क्षेत्रीय दलों ने महबूबा का समर्थन करते हुए कहा कि “जांच निष्पक्ष होनी चाहिए,” जबकि कई दलों ने इसे देश की सुरक्षा पर सवाल खड़े करने जैसा बताया।
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि महबूबा मुफ्ती का यह बयान उनकी “नरम अलगाववादी” छवि को फिर चर्चा में ले आया है। उन्होंने पहले भी कई बार आतंक या गिरफ्तार युवाओं के प्रति संवेदना जताई है, जिसे राष्ट्रीय स्तर पर आलोचना का सामना करना पड़ा था।
दिल्ली ब्लास्ट केस में जिस तरह से फरीदाबाद, जम्मू-कश्मीर और विदेशी नेटवर्क के तार जुड़ते जा रहे हैं, उस माहौल में महबूबा मुफ्ती का बयान निश्चित रूप से राजनीतिक तापमान को और बढ़ा रहा है।
जनता के मन में सवाल, संवेदना या सियासत?
अब देशभर में यह चर्चा गर्म है कि क्या महबूबा मुफ्ती का यह बयान मानवाधिकार की चिंता से जुड़ा है या फिर यह किसी राजनीतिक रणनीति का हिस्सा है। विशेषज्ञों का कहना है कि जब मामला राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़ा हो, तब नेताओं को बयानबाजी से बचना चाहिए ताकि जांच प्रभावित न हो।
दिल्ली ब्लास्ट के बाद प्रधानमंत्री से लेकर गृहमंत्री तक ने सख्त सुरक्षा निर्देश जारी किए हैं। ऐसे में, किसी भी बयान का असर न केवल राजनीतिक माहौल बल्कि जनता की संवेदनाओं पर भी पड़ता है।
फिलहाल एजेंसियां अपनी जांच में जुटी हैं, और महबूबा मुफ्ती के इस बयान ने एक बार फिर उस बहस को जिंदा कर दिया है—“क्या देश की सुरक्षा के मुद्दे पर राजनीति की कोई सीमा होनी चाहिए?”
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