UP सरकार ने एक बड़ा प्रशासनिक फैसला लेते हुए यह स्पष्ट कर दिया है कि आधार कार्ड को अब जन्म प्रमाण पत्र के तौर पर स्वीकार नहीं किया जाएगा। यह निर्णय ऐसे समय में आया है, जब देशभर में SIR प्रक्रिया चल रही है और आधार के दुरुपयोग से जुड़े कई मामले सामने आ रहे हैं।
हाल ही में आज़म खान और उनके बेटे को दो पैन कार्ड बनवाने के मामले में सात साल की सजा हुई, जिसके बाद दस्तावेजों की प्रामाणिकता एक बार फिर चर्चा में आ गई। इसी बीच यूपी सरकार ने साफ किया कि आधार एक पहचान पत्र है, लेकिन जन्मतिथि साबित करने का दस्तावेज नहीं। इससे लोगों में सवाल उठने लगे कि आखिर जन्म का असली प्रमाण क्या माना जाएगा?
UIDAI ने खुद माना – आधार में दर्ज जन्मतिथि सत्यापित नहीं होती
यूपी सरकार के फैसले के पीछे सबसे बड़ी वजह UIDAI की वह टिप्पणी मानी जा रही है, जिसमें उसने कहा था कि आधार में दर्ज जन्मतिथि “स्वयं घोषित” होती है, यानी इसे किसी आधिकारिक दस्तावेज से अनिवार्य रूप से सत्यापित नहीं किया जाता।
UIDAI के अनुसार, आधार बनवाते समय कई बार लोग जन्म प्रमाण पत्र, स्कूल रिकॉर्ड या अस्पताल की रिपोर्ट प्रस्तुत नहीं करते। ऐसे में उनकी वास्तविक जन्मतिथि और आधार कार्ड में लिखी तिथि में अंतर हो सकता है।
इसीलिए आधार को जन्म या उम्र से जुड़े मामलों, जैसे— सरकारी नौकरी, पेंशन, शैक्षिक प्रमाणन, देरी से जन्म पंजीकरण इनमें मान्य नहीं माना जाएगा।
यूपी की तरह महाराष्ट्र सरकार ने भी आदेश जारी करते हुए कहा है कि देरी से बर्थ सर्टिफिकेट बनवाने में आधार को दस्तावेज के रूप में स्वीकार नहीं किया जाएगा।
अब कौन से दस्तावेज होंगे मान्य?
नियोजन विभाग द्वारा जारी पत्र में यह स्पष्ट किया गया है कि जन्म के प्रमाण के लिए केवल कुछ चयनित और सत्यापित दस्तावेज ही स्वीकार किए जाएंगे। इनमें मुख्य रूप से शामिल हैं:
1. जन्म प्रमाण पत्र (Birth Certificate)
यह स्वास्थ्य विभाग या नगर निकाय (नगर निगम, नगर पंचायत) की ओर से बच्चे के जन्म के समय जारी किया जाने वाला मूल दस्तावेज है। इसे सबसे अधिक विश्वसनीय माना गया है।
2. हाईस्कूल की मार्कशीट
कई सरकारी प्रक्रियाओं में 10वीं की मार्कशीट को व्यक्ति की आधिकारिक जन्मतिथि का प्रमाण माना जाता है। यूपी सरकार ने इसे भी मान्य दस्तावेज की सूची में शामिल किया है।
3. नगर निकाय द्वारा जारी प्रमाण पत्र
शहरी क्षेत्रों में नगर निगम और ग्रामीण क्षेत्रों में ग्राम पंचायत द्वारा जारी प्रमाण पत्र को भी जन्म के प्रमाण के रूप में स्वीकार किया जा सकता है, बशर्ते यह पंजीकृत रिकार्ड के आधार पर जारी किया गया हो।
सरकार का स्टैंड साफ है—
आधार पहचान का दस्तावेज है, लेकिन आयु या जन्म सत्यापन का नहीं।
फैसले का असर—किन प्रक्रियाओं में पड़ेगा सीधा प्रभाव
सरकार के इस निर्णय के बाद कई विभागों और प्रक्रियाओं में बदलाव देखने को मिलेगा।
सबसे ज्यादा असर निम्न क्षेत्रों में पड़ सकता है:
सरकारी नौकरियों की भर्ती
उम्र का सत्यापन हाईस्कूल मार्कशीट या जन्म प्रमाण पत्र से ही किया जाएगा।
पेंशन, आयु आधारित योजनाएँ
पेंशन, विधवा पेंशन, श्रमिक पेंशन जैसी योजनाओं में आधार को उम्र प्रमाण के रूप में नहीं माना जाएगा।
स्कूल–कॉलेज प्रवेश
प्रवेश और रिजर्वेशन से जुड़ी प्रक्रियाओं में जन्म प्रमाण पत्र या 10वीं की अंकतालिका जरूरी होगी।
देरी से जन्म पंजीकरण
अब कोई भी व्यक्ति सिर्फ आधार कार्ड दिखाकर जन्म पंजीकरण नहीं करा पाएगा।
सरकार का कहना है कि यह कदम प्रशासनिक पारदर्शिता और पहचान दस्तावेजों की विश्वसनीयता बढ़ाने के लिए उठाया गया है। इससे फर्जी आयु प्रमाणन, दस्तावेज धोखाधड़ी और गलत जानकारी देने के मामलों में कमी आएगी।
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