भारत में जब भी कोई नई गाड़ी खरीदी जाती है, तो लोग पूजा कराते हैं, नींबू-मिर्च लटकाते हैं या उस पर भगवान का नाम लिखवाते हैं। “जय श्री राम”, “श्री गणेशाय नमः” या “ॐ नमः शिवाय” जैसे वाक्य सड़कों पर दौड़ती हजारों गाड़ियों पर लिखे नजर आते हैं। लेकिन हाल ही में इस पर एक सवाल उठा कि क्या गाड़ियों पर धार्मिक मंत्र लिखवाना वास्तव में शुभ होता है या फिर यह केवल दिखावे का हिस्सा बन गया है। इसी पर प्रसिद्ध संत प्रेमानंद महाराज ने एक ऐसा जवाब दिया जिसने लाखों लोगों को सोचने पर मजबूर कर दिया।
प्रेमानंद महाराज का जवाब
वृंदावन के संत श्री प्रेमानंद महाराज से जब एक भक्त ने पूछा कि “गाड़ी पर मंत्र लिखवाने से क्या सुरक्षा मिलती है?”, तो उन्होंने मुस्कुराते हुए कहा – “भगवान के नाम की शक्ति अपार है, लेकिन वो शक्ति कांच पर लिखे शब्दों में नहीं, आपके कर्मों और श्रद्धा में होती है।”
उन्होंने कहा कि बहुत से लोग मानते हैं कि ‘जय श्री राम’ या ‘ॐ’ लिख देने से गाड़ी कभी दुर्घटनाग्रस्त नहीं होगी। लेकिन ये सोच पूरी तरह सही नहीं है। अगर व्यक्ति खुद लापरवाह है, ट्रैफिक नियमों का पालन नहीं करता, तो केवल मंत्र लिख देने से कुछ नहीं होता।
महाराज ने यह भी कहा कि “मंत्र एक सुरक्षा कवच है, लेकिन जब तक मन और कर्म पवित्र न हों, तब तक उसका असर अधूरा रहता है।”
प्रेमानंद महाराज ने आगे कहा कि “हर चीज का एक भाव होता है। अगर आप गाड़ी पर भगवान का नाम इसलिए लिख रहे हैं ताकि दिखा सकें कि आप धार्मिक हैं, तो यह भावना गलत दिशा में जा रही है।”
उन्होंने बताया कि भगवान का नाम लेने से पहले मन में विनम्रता, श्रद्धा और सच्चाई होनी चाहिए। अगर कोई व्यक्ति अपनी गाड़ी पर ‘राम’ या ‘कृष्ण’ का नाम लिखवाकर तेज रफ्तार में किसी को चोट पहुंचा दे, तो इससे भगवान का नहीं, बल्कि उस व्यक्ति का अपमान होता है।
महाराज ने उदाहरण देते हुए कहा कि “मंत्र का मतलब है मन को त्राण देना, यानी मन की रक्षा करना। अगर आप खुद अपने मन को काबू में नहीं रखते, तो गाड़ी पर लिखे अक्षर कुछ नहीं कर पाएंगे।”
गाड़ी पर नाम नहीं, भक्ति मन में होनी चाहिए
प्रेमानंद महाराज ने अपने प्रवचन में कहा कि धर्म का असली अर्थ बाहरी प्रदर्शन नहीं, बल्कि आंतरिक शुद्धता है। उन्होंने कहा “आजकल लोग भक्ति को दिखावे से जोड़ चुके हैं। कोई गाड़ी पर ‘जय हनुमान’ लिखवाता है, कोई घर के दरवाजे पर बड़े अक्षरों में ‘ॐ’ चिपकाता है, लेकिन मन में द्वेष और झूठ भरा होता है।”
उन्होंने समझाया कि गाड़ी पर मंत्र लिखवाना गलत नहीं है, लेकिन यह सोचकर करना चाहिए कि इससे दूसरों में सकारात्मकता फैले, न कि कोई चमत्कार हो जाएगा। “भगवान का नाम हर सांस में होना चाहिए, सिर्फ नंबर प्लेट पर नहीं,” उन्होंने जोड़ा।
लोगों की प्रतिक्रिया – सोशल मीडिया पर छाया प्रवचन
प्रेमानंद महाराज का यह वीडियो सोशल मीडिया पर खूब वायरल हुआ। कई भक्तों ने लिखा कि महाराज ने जो बात कही, वह आज के समय की सच्चाई है। एक यूजर ने लिखा – “हम गाड़ी पर भगवान का नाम लिखवाते हैं लेकिन खुद ट्रैफिक लाइट तोड़ देते हैं, यह कैसी भक्ति?”
वहीं कुछ लोगों ने कहा कि भगवान का नाम हर जगह होना चाहिए, चाहे गाड़ी पर हो या मन में। एक श्रोता ने लिखा – “अगर गाड़ी पर मंत्र लिखने से कोई अपने कर्म सुधार ले, तो इससे अच्छा कुछ नहीं।”
मंत्र की शक्ति को समझना जरूरी
प्रेमानंद महाराज ने अपने संदेश में यह भी कहा कि मंत्र कोई जादू नहीं है। यह एक कंपन (vibration) है जो मन और शरीर दोनों पर असर डालता है। जब कोई व्यक्ति सच्चे भाव से मंत्र का जाप करता है, तो उसका वातावरण स्वतः पवित्र हो जाता है।
उन्होंने कहा कि “भगवान को दिखावे की नहीं, भावना की जरूरत है। जो मन से ‘राम’ का नाम लेता है, उसकी गाड़ी, घर और जीवन सब सुरक्षित रहते हैं।”
महाराज ने लोगों को सलाह दी कि गाड़ी पर मंत्र लिखना चाहें तो श्रद्धा से करें, लेकिन यह न भूलें कि सबसे बड़ा ‘मंत्र कवच’ आपका अच्छा व्यवहार, संयम और दूसरों के प्रति करुणा है।
समाज में जागरूकता का संदेश
इस संदेश ने सोशल मीडिया पर एक नई चर्चा शुरू कर दी है — क्या धार्मिक प्रतीकों का दिखावा करना सही है या भक्ति को भीतर तक जीना ही असली धर्म है? प्रेमानंद महाराज का यह कहना कि “नाम लिखने से नहीं, जीने से भक्ति होती है,” आज की पीढ़ी के लिए एक गहरा संदेश बन गया है।
