बागेश्वर धाम के पीठाधीश्वर धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री की पदयात्रा हमेशा भीड़ खींचती है, लेकिन इस बार नजारा कुछ अलग था। सड़क पर हजारों श्रद्धालुओं के बीच अचानक कैमरे राजा भैया और धीरेंद्र शास्त्री की ओर मुड़ गए। दोनों हाथ में हाथ डालकर चलते दिखाई दिए, और यह दृश्य देखते ही देखते सोशल मीडिया पर वायरल हो गया। बाबा बागेश्वर की पदयात्राओं में राजा भैया पहले भी दिखाई देते रहे हैं, लेकिन इस बार माहौल और भी खास था क्योंकि उनके दोनों बेटे कुंवर शिवराज प्रताप सिंह और कुंवर बृजराज प्रताप सिंह—भी इस यात्रा में शामिल हुए।
पदयात्रा के दौरान लोगों में उत्सुकता थी कि आखिर क्या वजह है जो उत्तर प्रदेश के सबसे प्रभावशाली नेताओं में गिने जाने वाले राजा भैया हर बार बाबा बागेश्वर के कार्यक्रमों में विशेष रूप से उपस्थित रहते हैं। कई लोग इसे आध्यात्मिक जुड़ाव मानते हैं, तो कुछ इसे सामाजिक समीकरणों का संकेत बताते हैं। लेकिन भीड़ में इस बार सबसे ज्यादा चर्चा दोनों के बीच नजर आए आत्मीय जुड़ाव और सहज बातचीत को लेकर रही।
सड़क पर बैठकर खाई पूड़ी-सब्ज़ी, वायरल हुआ सादगी का दृश्य
पदयात्रा के बीच एक ऐसा क्षण आया जिसने सोशल मीडिया पर और भी ज्यादा हलचल मचा दी। धीरेंद्र शास्त्री के साथ चलते-चलते जब प्रसाद वितरण शुरू हुआ, तो राजा भैया ने बिना किसी संकोच के सड़क पर बिछी पत्तलों पर बैठकर पूड़ी-सब्ज़ी का प्रसाद ग्रहण किया। उनके दोनों बेटे भी उनके साथ जमीन पर बैठे और सादगी से खाना खाया।
लोगों ने मोबाइल कैमरे निकालकर वीडियो बनाना शुरू कर दिया। कुछ ही मिनटों में यह दृश्य इंटरनेट पर छा गया। कई लोगों ने कहा कि राजा भैया चाहे किसी भी पद पर रहे हों, उनकी जमीन से जुड़ने वाली छवि आज भी वही है। वहीं बाबा के भक्त भी खुश थे कि दो बड़े सार्वजनिक चेहरे भी आम लोगों की तरह प्रसाद ग्रहण कर रहे हैं। यह सरलता इस आयोजन का सबसे उल्लेखनीय क्षण बन गई।
पदयात्रा में बढ़ती भीड़ का अंदाज़ा न लगा सकी पुलिस
जैसे ही राजा भैया पदयात्रा में शामिल हुए, भीड़ कई गुना बढ़ गई। श्रद्धालु उन्हें करीब से देखने और मिलने के लिए आगे बढ़ते रहे, जिससे सुरक्षा बलों को अतिरिक्त सतर्कता बरतनी पड़ी। धीरेंद्र शास्त्री भी कई बार भीड़ को शांत रहने और अनुशासन बनाए रखने की अपील करते दिखाई दिए।
पदयात्रा के दौरान दोनों के बीच होने वाली बातचीत और उनके आगे-पीछे चलते लोग बार-बार कैमरों के सामने आ रहे थे। आयोजन समिति के सदस्यों ने भीड़ को नियंत्रित करने के लिए कई बार दिशा बदलनी पड़ी, ताकि किसी तरह की अव्यवस्था न हो। बढ़ती भीड़ यह भी दर्शा रही थी कि धीरेंद्र शास्त्री और राजा भैया के नाम का प्रभाव सिर्फ आध्यात्मिक क्षेत्र तक सीमित नहीं, बल्कि जनभावनाओं में भी गहराई तक है।
राजनीति और अध्यात्म का अनोखा संगम
इस पदयात्रा ने एक बार फिर कई राजनीतिक सवालों को हवा दे दी है। राजा भैया की धीरेंद्र शास्त्री के प्रति आस्था किसी से छुपी नहीं है, लेकिन हर बार उनकी मौजूदगी एक बड़ा संदेश देती है। क्या यह सिर्फ श्रद्धा है? या इससे आगे कोई सामाजिक संदेश? कई राजनीतिक विश्लेषक मानते हैं कि अध्यात्म और जनसमर्थन का यह संगम आने वाले समय में प्रभाव डाल सकता है।
वहीं दूसरी तरफ सोशल मीडिया पर लोग इसे एक सकारात्मक दृश्य के रूप में देख रहे हैं जहां एक धर्मगुरु और एक लोकप्रिय नेता आम लोगों के साथ पैदल चलते हैं, जमीन पर बैठते हैं और प्रसाद ग्रहण करते हैं। चाहे उद्देश्य जो भी रहा हो, इस पदयात्रा ने लोगों को एक बार फिर यह अहसास कराया कि सादगी और सरलता ही सबसे बड़ी ताकत है, और शायद इसी वजह से यह दृश्य जनता के दिल में जगह बना रहा है।
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