दिल्ली में हुए धमाके के बाद पूरे देश में जहां जांच एजेंसियां आतंक के सुराग खोजने में जुटी हैं, वहीं पाकिस्तान ने इस घटना को “सिलेंडर ब्लास्ट” करार देकर सबको चौंका दिया। इस बयान ने भारतीय सुरक्षा एजेंसियों के बीच सवाल खड़े कर दिए कि आखिर एक पड़ोसी देश बिना किसी जांच के इस तरह का निष्कर्ष कैसे निकाल सकता है?
दिल्ली के ऐतिहासिक इलाके में हुए इस धमाके में कई लोग घायल हुए थे और शुरुआती जांच में विस्फोटक सामग्री के इस्तेमाल के संकेत मिले थे। लेकिन पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने इसे “घरेलू हादसा” बताकर न केवल भारत की जांच प्रक्रिया पर उंगली उठाई, बल्कि अंतरराष्ट्रीय मंच पर भ्रामक नैरेटिव फैलाने की कोशिश भी की।
पाकिस्तान के सुर में सुर मिलाते हुए तुर्की ने भी भारत की सुरक्षा व्यवस्था पर तंज कसा। दिलचस्प बात यह है कि कुछ दिन पहले ही पाकिस्तान में हुए आतंकवादी हमले पर तुर्की ने कोई सख्त शब्द नहीं कहे थे, बल्कि “शांति और स्थिरता” की अपील भर की थी।
तुर्की की यह चुप्पी और फिर भारत के खिलाफ सक्रिय प्रतिक्रिया बताती है कि वह अंतरराष्ट्रीय राजनीति में दोहरा खेल खेल रहा है। जब मामला भारत से जुड़ा होता है तो तुर्की “मानवाधिकार” और “अल्पसंख्यक मुद्दे” जैसे शब्दों का इस्तेमाल करने लगता है, जबकि पाकिस्तान की धरती पर आतंक फैलाने वालों पर मौन साध लेता है।
भारत की प्रतिक्रिया: “सत्य सामने आएगा”
भारतीय विदेश मंत्रालय ने पाकिस्तान और तुर्की के बयानों को “भ्रामक और तथ्यहीन” बताया है। भारत ने कहा है कि जांच एजेंसियां तथ्यों के आधार पर काम कर रही हैं और जल्द ही सच्चाई दुनिया के सामने होगी। मंत्रालय के प्रवक्ता ने यह भी कहा कि कुछ देश भारत की छवि को धूमिल करने के लिए सुनियोजित अभियान चला रहे हैं, लेकिन भारत आतंकवाद पर अपनी नीति से एक इंच भी पीछे नहीं हटेगा।
विशेषज्ञों का कहना है कि पाकिस्तान और तुर्की की इस बयानबाजी से साफ झलकता है कि ये दोनों देश दक्षिण एशिया में अस्थिरता फैलाने की रणनीति पर काम कर रहे हैं।
जांच एजेंसियों ने घटना स्थल से मिले इलेक्ट्रॉनिक सर्किट और टाइमिंग डिवाइस के नमूनों को प्रयोगशाला भेजा है। सूत्रों के मुताबिक यह विस्फोट किसी प्रशिक्षित समूह द्वारा किया गया था। सूत्र यह भी बता रहे हैं कि दिल्ली में कुछ दिनों पहले संदिग्ध गतिविधियों के इनपुट मिले थे, जिन्हें अब इस धमाके से जोड़ा जा रहा है।
हालांकि पाकिस्तान इस पूरे मामले को “घरेलू दुर्घटना” बताकर अंतरराष्ट्रीय मंच पर भारत की साख कमजोर करने की कोशिश कर रहा है। लेकिन विशेषज्ञों का मानना है कि यह बयान भारत की नहीं, बल्कि पाकिस्तान की चिंता को दर्शाता है — क्योंकि यदि जांच में सीमा पार कनेक्शन साबित हुआ तो सीधे इस्लामाबाद का नाम उभर सकता है।
तुर्की और पाकिस्तान के ऐसे बयानों ने भारत-तुर्की संबंधों में फिर से ठंडापन ला दिया है। पिछले कुछ वर्षों से भारत और तुर्की के बीच संबंध सुधारने के प्रयास हो रहे थे, लेकिन इस घटना पर तुर्की के रवैये ने उस दिशा में बड़ा झटका दिया है।
राजनयिक सूत्रों के अनुसार भारत जल्द ही अंतरराष्ट्रीय समुदाय के सामने तुर्की और पाकिस्तान की “फेक नैरेटिव पॉलिटिक्स” को उजागर कर सकता है। वहीं संयुक्त राष्ट्र में भारत यह मुद्दा उठा सकता है कि कैसे कुछ देश आतंकवाद को परोक्ष रूप से “सामान्य हादसा” बताकर उसकी गंभीरता को कम आंकने की कोशिश करते हैं।
सोशल मीडिया पर बहस तेज
सोशल मीडिया पर लोगों ने पाकिस्तान और तुर्की की बयानबाजी की कड़ी आलोचना की है। हजारों यूज़र्स ने लिखा कि “हर बार आतंकवाद का समर्थन करने वाले अब हमें नसीहत दे रहे हैं।” वहीं कुछ विश्लेषकों ने तुर्की की भूमिका को “राजनीतिक लाभ” से जोड़ा है, क्योंकि तुर्की इस्लामिक देशों में अपनी पकड़ मजबूत करने के लिए भारत के खिलाफ बयानबाजी को एक हथियार के रूप में इस्तेमाल करता है।
सबसे बड़ा सवाल यही है अगर धमाका वास्तव में “सिलेंडर ब्लास्ट” था, तो पाकिस्तान को इसकी जानकारी भारत से पहले कैसे मिल गई? क्या यह केवल एक अनुमान था या फिर किसी संगठित नेटवर्क का हिस्सा?
भारत की जांच आगे बढ़ने के साथ-साथ इन सवालों के जवाब मिलना तय है, लेकिन एक बात स्पष्ट है कि दिल्ली धमाके की सच्चाई सामने आने से पहले पाकिस्तान और तुर्की ने अपने झूठे नैरेटिव से खुद को बेनकाब कर लिया है।
