हरियाणा के रोहतक में 16 साल के राष्ट्रीय स्तर के बास्केटबॉल खिलाड़ी हार्दिक राठी की दर्दनाक मौत ने सवालों का पहाड़ खड़ा कर दिया है। मंगलवार सुबह प्रैक्टिस के दौरान कोर्ट में लगा जंग लगा पोल अचानक गिर पड़ा और हार्दिक की छाती पर सीधा आ लगा। चोट इतनी गहरी थी कि अंदरूनी रक्तस्राव से उसकी मौके पर ही मौत हो गई। हार्दिक के परिवार का आरोप है कि खेल विभाग और स्थानीय अधिकारी इस हादसे के असली जिम्मेदार हैं, क्योंकि बार-बार चेतावनी देने के बावजूद न तो स्टेडियम का निरीक्षण किया गया और न ही खराब पोल की मरम्मत। हार्दिक का सपना भारत के लिए खेलना था, लेकिन एक सड़े-गले सिस्टम ने उसकी जिंदगी छीन ली।
परिवार और कोच की चेतावनी को नजरअंदाज करते रहे अधिकारी
हार्दिक के चचेरे भाई खड़क सिंह राठी ने रोते हुए बताया कि जिस पोल ने उसकी जान ली, उसके गिरने की आशंका महीनों से जताई जा रही थी। परिवार के मुताबिक 2009 में कांग्रेस सांसद दीपेंद्र सिंह हुड्डा की मदद से बनाया गया यह कोर्ट अब खस्ताहाल हो चुका था। पोल में जंग साफ दिखाई देती थी और कई बार यह झुकता भी था। खेल अकादमी के कोच ने कम से कम 10 बार अधिकारियों से मिलकर मरम्मत की मांग की, लेकिन हर बार फाइलें सिर्फ आगे-पीछे होती रहीं। CCTV फुटेज में देखा जा सकता है कि हार्दिक बस बास्केट का किनारा पकड़कर नीचे आ ही रहा था कि पूरा पोल उसकी छाती पर आ गिरा। उसके साथी तुरंत दौड़े, पोल हटाया, लेकिन तब तक देर हो चुकी थी। परिवार का कहना है कि यह हादसा नहीं, बल्कि लापरवाही का परिणाम है—और इस लापरवाही ने एक होनहार खिलाड़ी की जिंदगी खत्म कर दी।
सरकार पर लापरवाही के गंभीर आरोप, स्टेडियमों के रखरखाव पर बड़ा सवाल
घटना के बाद राजनीति भी तेज हो गई है। कांग्रेस नेता दीपेंद्र हुड्डा ने इसे “आपराधिक लापरवाही” करार देते हुए हरियाणा की बीजेपी सरकार पर गंभीर आरोप लगाए। उनका कहना है कि पिछले 11 वर्षों से राज्य सरकार ने न तो स्टेडियमों के रखरखाव पर ध्यान दिया और न ही नई सुविधाओं पर निवेश। हुड्डा ने दावा किया कि उन्होंने अपनी सांसद निधि से स्टेडियम सुविधाओं के लिए 18 लाख रुपये दिए थे, मगर विपक्ष का सांसद होने के कारण फंड का इस्तेमाल रोक दिया गया। दूसरी ओर, हार्दिक के परिवार ने सरकार से मांग की है कि तुरंत सभी खेल परिसरों का निरीक्षण होना चाहिए, ताकि किसी और खिलाड़ी को अपनी जान न गंवानी पड़े। परिवार का दर्द साफ झलकता है, “हमने अपना बच्चा खो दिया, लेकिन कोई और परिवार इस दर्द से न गुजरे।” यह घटना पूरे खेल तंत्र पर बड़ा प्रश्नचिह्न छोड़ गई है कि जब चेतावनी पहले से थी, तो आखिर कार्रवाई क्यों नहीं हुई?
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