मुंबई के पवई इलाके में गुरुवार को एक ऐसा वाकया हुआ जिसने पूरे शहर को दहशत में डाल दिया। फिल्म और शूटिंग की दुनिया से जुड़े एक व्यक्ति ने बच्चों को “ऑडिशन” के नाम पर स्टूडियो बुलाया, लेकिन अंदर की कहानी कुछ और निकली। आर.ए. स्टूडियो में जब बच्चे पहुँचे तो वहां का माहौल सामान्य नहीं था। दरवाजे बंद कर दिए गए, और बाहर किसी को आने-जाने की अनुमति नहीं दी गई। कुछ ही देर में आस-पास के लोगों को शक हुआ और पुलिस को सूचना दी गई। मौके पर पहुंची टीम ने देखा कि अंदर करीब 22 बच्चे मौजूद हैं और एक व्यक्ति उन सबको भीतर रोककर बैठा है। वह लगातार चिल्ला रहा था — “मैं आतंकी नहीं हूं!” इस वाक्य ने पूरे घटनाक्रम को रहस्यमय बना दिया।
“ऑडिशन” के नाम पर बच्चों की फँसाने की साजिश
स्थानीय सूत्रों के अनुसार, आरोपी का नाम रोहित आर्या बताया गया है। उसने सोशल मीडिया और मैसेजिंग ऐप्स के ज़रिए बच्चों के अभिभावकों से संपर्क किया था। उसने दावा किया कि पवई स्थित आर.ए. स्टूडियो में एक शॉर्ट फिल्म और विज्ञापन शूट होना है, जिसके लिए बाल कलाकारों की आवश्यकता है। भरोसेमंद माहौल का भ्रम पैदा करने के लिए उसने नकली प्रोडक्शन कंपनी का नाम इस्तेमाल किया। कई अभिभावक अपने बच्चों को लेकर मौके पर पहुँचे, जहां उनसे कहा गया कि केवल बच्चे अंदर जाएंगे। जैसे ही दरवाज़े बंद हुए, आरोपी ने किसी को बाहर निकलने नहीं दिया।
अंदर मौजूद बच्चों ने पहले सोचा कि यह शूटिंग की तैयारी है, लेकिन जल्द ही सबको एहसास हुआ कि कुछ गलत हो रहा है। बाहर से शोर सुनाई देने पर लोग एकत्र हुए और स्टूडियो के बाहर तनाव का माहौल बन गया। कुछ देर बाद पुलिस की कई गाड़ियाँ पहुँचीं और चारों ओर सुरक्षा घेरा बना लिया गया।
रेस्क्यू ऑपरेशन और पुलिस की कार्रवाई
करीब दो घंटे चली मोलभाव और बातचीत के बाद पुलिस ने आरोपी को आत्मसमर्पण करने के लिए समझाया। मौके पर मौजूद मनोवैज्ञानिक टीम ने भी उससे संवाद किया ताकि बच्चों की जान को खतरा न हो। आखिरकार, देर रात सभी 22 बच्चों को सुरक्षित बाहर निकाल लिया गया। पुलिस ने तुरंत आरोपी को हिरासत में लेकर पूछताछ शुरू की। प्रारंभिक जानकारी के अनुसार, आरोपी मानसिक तनाव में था और उसने बताया कि उसका उद्देश्य किसी को नुकसान पहुँचाना नहीं था। उसने कहा — “मैं बस सबको दिखाना चाहता था कि मैं कुछ बड़ा कर सकता हूं।”
पुलिस अब यह जानने में जुटी है कि क्या इस घटना के पीछे कोई और व्यक्ति शामिल था, या रोहित ने यह सब अकेले ही किया। स्टूडियो के अंदर लगे कैमरों और इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों को सीज़ कर लिया गया है। साथ ही, सुरक्षा एजेंसियों ने यह भी जांच शुरू कर दी है कि आरोपी के पास हथियार या विस्फोटक तो नहीं थे। सौभाग्य से किसी बच्चे को शारीरिक नुकसान नहीं पहुँचा, लेकिन मानसिक आघात से कई अभी भी डरे हुए हैं।
जाँच और समाज की प्रतिक्रिया
इस घटना के बाद मुंबई के फिल्मी इलाकों में हलचल बढ़ गई है। अभिभावकों का कहना है कि शहर में बच्चों के लिए ऑडिशन का कोई मानक सुरक्षा सिस्टम नहीं है। पुलिस ने आश्वासन दिया है कि भविष्य में ऐसे आयोजनों के लिए प्रोडक्शन हाउसों को विशेष अनुमति लेनी होगी। इलाके के लोगों ने राहत की सांस ली कि सभी बच्चे सुरक्षित बाहर आ गए, लेकिन यह घटना इस बात का संकेत है कि शहर में सुरक्षा-प्रणालियाँ और सतर्कता कितनी ज़रूरी है।
मानसिक स्थिति पर सवाल
पुलिस सूत्रों का कहना है कि आरोपी पिछले कुछ महीनों से बेरोजगार था और उसे मानसिक तनाव झेलना पड़ रहा था। वह खुद को “निर्देशक” बताकर छोटे-मोटे प्रोजेक्ट्स में काम ढूंढ रहा था। इसी क्रम में उसने यह योजना बनाई, लेकिन उसके इरादे खतरनाक मोड़ ले बैठे। फिलहाल, उसे मानसिक स्वास्थ्य परीक्षण के लिए भेजा गया है और आगे की पूछताछ के बाद ही यह तय होगा कि उस पर कौन-कौन से कानूनी प्रावधान लगाए जाएंगे।
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