उत्तर-पूर्वी दिल्ली से भारतीय जनता पार्टी के तीसरी बार सांसद चुने गए मनोज तिवारी ने सावन के पवित्र महीने में ऐसी मिसाल पेश की है जो राजनीतिक गलियारों से निकलकर सीधा आस्था की राह पकड़ती है। उन्होंने बिहार के सुल्तानगंज से गंगाजल लेकर झारखंड के देवघर स्थित बाबा वैद्यनाथ धाम तक करीब 110 किलोमीटर पैदल यात्रा की। चार दिनों तक लगातार चलते हुए उन्होंने हर-हर महादेव के जयकारों के साथ ये यात्रा पूरी की।
“पैरों में छाले, पर मन में संतोष”
यात्रा खत्म होते ही सांसद ने सीधे संसद का रुख किया, लेकिन इस बार उनकी एंट्री कुछ अलग थी। संसद भवन में वे व्हीलचेयर पर नजर आए, क्योंकि पैदल चलने से उनके पैरों में गहरे छाले पड़ गए हैं। बावजूद इसके, उनके चेहरे पर संतोष और भक्ति का तेज साफ झलक रहा था। मीडिया से बात करते हुए उन्होंने कहा, “शिव की भक्ति में जो शक्ति है, वो और कहीं नहीं। शरीर थक गया है, लेकिन आत्मा तृप्त है।
राजनीति से दूर, भक्ति में लीन चेहरा
इस बार की कांवड़ यात्रा को लेकर सोशल मीडिया पर उनकी तस्वीरें और वीडियो काफी वायरल हो चुके हैं। कभी भजन गाते हुए, तो कभी आम भक्तों के साथ रास्ते में विश्राम करते हुए मनोज तिवारी के ये पल भक्तों और समर्थकों दोनों को छू गए। लोगों ने उन्हें ‘जनसेवक और भगवान का सेवक’ बताते हुए सराहा।
पार्टी में भी मिली तारीफ
भाजपा के अन्य नेताओं और कार्यकर्ताओं ने भी उनकी इस यात्रा को प्रेरणादायक बताया। संसद में कई सांसदों ने उनके साहस और आस्था को सलाम किया। तिवारी ने भी संसद परिसर में मुस्कुराते हुए कहा, “यह सिर्फ भक्ति नहीं, एक साधना थी जो अब संसद में नई ऊर्जा बनकर साथ आएगी।”
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