साबरमती सेंट्रल जेल में सोमवार का दिन तब सनसनीखेज मोड़ ले आया जब दिल्ली धमाके के आरोपी अहमद मोहियुद्दीन सैयद पर तीन कैदियों ने अचानक हमला कर दिया। यह हमला इतनी तेजी से हुआ कि आसपास मौजूद सुरक्षाकर्मी भी पहले कुछ क्षणों के लिए समझ ही नहीं सके कि भीतर क्या चल रहा है। चश्मदीद कैदियों के मुताबिक, तीनों हमलावरों ने बिना किसी बातचीत या विवाद के सीधे सैयद पर वार करना शुरू कर दिया। इस दौरान उसे जमीन पर गिराकर उसके चेहरे, आंख और शरीर पर लगातार प्रहार किए गए। कुछ ही पलों में पूरी बैरक में अफरा-तफरी मच गई, जिसके बाद सुरक्षाकर्मियों ने मौके पर पहुंचकर सभी को अलग किया। घायल सैयद को तुरंत अहमदाबाद सिविल अस्पताल ले जाया गया जहां डॉक्टरों ने उसकी कई गहरी चोटों की पुष्टि की है।
क्या सुरक्षा व्यवस्था में बड़ी चूक हुई?
इस घटना ने एक बार फिर साबरमती सेंट्रल जेल की सुरक्षा व्यवस्था को कठघरे में खड़ा कर दिया है। जेल पहले भी कई गंभीर घटनाओं का केंद्र रहा है—चाहे कैदियों के बीच हिंसक झड़पें हों, मोबाइल फोन की तस्करी हो, या बैरकों में अवैध वस्तुओं की बरामदगी। लेकिन इस बार हमला जिस तरह से अचानक और बिना किसी चेतावनी के हुआ है, उसने सवाल खड़ा कर दिया है कि क्या जेल के अंदर कोई ऐसा नेटवर्क काम कर रहा है जिसकी जानकारी बाहर तक नहीं पहुंच पाती? सुरक्षा विशेषज्ञों का कहना है कि किसी कैदी पर इस तरह के हमले का मतलब है कि या तो हमलावरों के बीच पहले से प्लानिंग थी या जेल के भीतर किसी ने उन्हें संकेत दिए। हालांकि प्रशासन यह मानने को तैयार नहीं कि यह हमला किसी बड़ी साजिश का हिस्सा था, लेकिन यह भी सच है कि अचानक हुए इस हमले ने सुरक्षा व्यवस्था की कमजोरियों को पूरी तरह उजागर कर दिया है।
ATS और पुलिस की जांच ने तेज की धड़कनें
हमले की खबर मिलते ही गुजरात एटीएस और रानिप पुलिस की टीम तुरंत जेल पहुंची और घटनास्थल की पूरी जांच शुरू कर दी। अधिकारी सबसे पहले यह समझने की कोशिश में जुटे कि क्या यह हमला किसी व्यक्तिगत रंजिश का नतीजा था या इसके पीछे कोई बड़ा उद्देश्य छिपा हुआ है। तीनों हमलावर कैदियों की पहचान कर ली गई है, लेकिन वे हमले की वजह बताने से इंकार कर रहे हैं, जिससे संदेह और बढ़ गया है। एटीएस ने सैयद का प्राथमिक बयान दर्ज कर लिया है, लेकिन उसने भी अभी तक हमले के पीछे की स्पष्ट वजह सामने नहीं रखी है। पुलिस इस ओर भी जांच कर रही है कि क्या हमलावरों को किसी ने उकसाया था या यह हमला किसी बाहरी संपर्क के इशारे पर हुआ। इसके लिए जेल के अंदर और बाहर के सीसीटीवी फुटेज, कॉल रिकॉर्ड और कैदियों से मिलने आने वालों की जानकारी खंगाली जा रही है।
जेल प्रशासन सख्त, नियमों में जल्द बदलाव की तैयारी
घटना के बाद जेल प्रशासन ने पूरे परिसर में सुरक्षा समीक्षा शुरू कर दी है। सभी बैरकों की तलाशी ली गई, संदिग्ध वस्तुओं को जब्त किया गया और निगरानी बढ़ा दी गई है। जेल अधिकारियों का कहना है कि भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए कई कड़े कदम उठाए जाएंगे—जैसे कैदियों की मूवमेंट पर सख्त नियंत्रण, बैरकों की नियमित चेकिंग, सीसीटीवी निगरानी में बढ़ोतरी और हिंसक प्रवृत्ति वाले कैदियों की अलग से पहचान। सूत्रों के मुताबिक, उच्च स्तरीय समिति जल्द ही एक विस्तृत रिपोर्ट तैयार करेगी, जिसके आधार पर जेल की सुरक्षा व्यवस्था में बड़े बदलाव किए जा सकते हैं।
इस बीच, जेल के अंदर तनाव का माहौल बना हुआ है और अधिकारी किसी भी तरह की नई घटना को रोकने के लिए हर बैरक पर विशेष नजर रखे हुए हैं। घटना ने यह भी साफ कर दिया है कि जेल के भीतर होने वाले किसी भी छोटे तनाव को तुरंत पहचानना और नियंत्रित करना कितना जरूरी है, क्योंकि एक चूक कई बड़े खतरे को जन्म दे सकती है।
