Friday, December 5, 2025
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बंदर उपद्रव पर काबू: पकड़कर जंगल छोड़ने वालों को अब मिलेगा मानधन, महाराष्ट्र सरकार का बड़ा फैसला

महाराष्ट्र सरकार ने मानव-बंदर संघर्ष कम करने के लिए नई एसओपी जारी की है। इसमें उपद्रवी बंदरों को सुरक्षित पकड़कर 10 किमी दूर जंगल में छोड़ने पर प्रशिक्षित कर्मियों को मानधन और यात्रा खर्च दिया जाएगा।

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महाराष्ट्र सरकार ने राज्य में बढ़ते मानव-बंदर संघर्ष को देखते हुए एक अहम फैसला लिया है। कई इलाकों में बंदरों के झुंड घरों, खेतों और बाजारों में घुसकर नुकसान पहुंचा रहे थे। इस बढ़ते खतरे को नियंत्रित करने और लोगों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए सरकार ने अब एक नई एसओपी जारी की है। नई प्रक्रिया के तहत बंदरों को बिना किसी नुकसान के पकड़कर सुरक्षित वन क्षेत्रों में छोड़ा जाएगा। इस अभियान के लिए प्रशिक्षित लोगों को सरकार की ओर से सम्मानजनक मानधन भी दिया जाएगा ताकि वे इस कार्य में सक्रिय रूप से हिस्सा ले सकें।

प्रशिक्षित टीमों को मिलेगा प्रति बंदर मानधन

नई एसओपी में स्पष्ट किया गया है कि केवल प्रशिक्षित और पंजीकृत व्यक्तियों को ही बंदरों को पकड़ने की अनुमति होगी। ऐसा इसलिए ताकि किसी तरह की चोट, दुर्घटना या गलत तरीके से पकड़ने की घटनाएं न हों। सरकार ने इस काम के लिए प्रति बंदर तय मानधन देने का निर्णय लिया है, ताकि बंदर पकड़ने वाली टीमों को आर्थिक सहायता मिल सके। इसके अलावा, जिस क्षेत्र में यह अभियान चलाया जाएगा, वहां टीम को यात्रा व अन्य आवश्यक खर्चों का भुगतान भी किया जाएगा। इससे अभियान अधिक तेज, सुरक्षित और व्यवस्थित तरीके से चल पाएगा।

10 किलोमीटर दूर जंगल में छोड़ना अनिवार्य

एसओपी में यह भी अनिवार्य किया गया है कि पकड़े गए बंदरों को कम से कम 10 किलोमीटर दूर किसी सुरक्षित वन क्षेत्र में छोड़ा जाए। इससे वे दोबारा मानव बस्तियों की ओर न लौटें और अपनी प्राकृतिक आवास में सुरक्षित रह सकें। वन विभाग इस प्रक्रिया की मॉनिटरिंग करेगा और यह सुनिश्चित करेगा कि बंदरों को छोड़े जाने वाले स्थान जैविक रूप से उपयुक्त हों। विभाग का कहना है कि बिना योजना बनाए किसी भी अन्य क्षेत्र में छोड़ने से पारिस्थितिकी तंत्र पर नकारात्मक असर पड़ सकता है, इसलिए नियमों का पालन बेहद जरूरी है।

मानव-वन्यजीव संघर्ष कम करना है मुख्य उद्देश्य

महाराष्ट्र के कई जिलों में बंदरों के हमले, लोगों की चोटें, कृषि नुकसान और घरों में उपद्रवी हरकतों की शिकायतें लगातार बढ़ रही थीं। सरकार की नई एसओपी का मुख्य उद्देश्य इन संघर्षों को कम करना है। बंदरों को नुकसान पहुंचाए बिना उन्हें उनके प्राकृतिक आवास में वापस भेजकर वन्यजीव संरक्षण और मानव सुरक्षा—दोनों को संतुलित किया जाएगा। अधिकारियों का कहना है कि इस नीति से लोगों को राहत मिलेगी और वन्यजीवों के साथ सामंजस्यपूर्ण सह-अस्तित्व की दिशा में नया रास्ता खुलेगा।

सरकार ने उम्मीद जताई है कि नई व्यवस्था लागू होने के बाद राज्य में बंदरों से जुड़ी घटनाओं में बड़ी कमी आएगी और वन विभाग की ओर से समय-समय पर जागरूकता अभियान भी चलाए जाएंगे, ताकि लोग भी इस प्रक्रिया में सहयोग कर सकें।

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