नेपाल हिंसा एक बार फिर सुर्खियों में है। नेपाल के बारा जिले में बुधवार की रात जिस विवाद ने शुरुआत में एक मामूली कहासुनी का रूप लिया था, वह देखते ही देखते व्यापक झड़प में बदल गया। Gen-Z युवाओं और UML कैडर के बीच पुरानी वैचारिक खींचतान अचानक सड़क पर उतर आई, और जिला प्रशासन को तुरंत कर्फ्यू लगाने का आदेश देना पड़ा। बारा जिला प्रशासन ने घोषणा की कि कर्फ्यू गुरुवार रात 8 बजे तक लागू रहेगा और किसी भी भीड़ या गतिविधि पर सख्त रोक रहेगी। प्रशासन के अनुसार, हालात को नियंत्रण में आने तक सुरक्षा बलों की अतिरिक्त तैनाती की गई है।
स्थानीय सूत्रों का कहना है कि दोनों समूहों की सोशल मीडिया पर लगातार बढ़ती तीखी बहस भी जमीन पर तनाव बढ़ाने की वजह बनी। डिजिटल मतभेद वास्तविक टकराव में बदल गया और देखते ही देखते शहर के कई हिस्सों में उग्र माहौल बन गया। इस तनावपूर्ण स्थिति के कारण लोगों में भय बढ़ गया है और पूरे क्षेत्र में एहतियात के तौर पर बाजार, शिक्षण संस्थान और सरकारी कार्यालय बंद रखे गए हैं।
बुद्ध एयरलाइंस ने काठमांडू-सिमारा रूट किया बंद
बारा में बढ़ते नेपाल हिंसा का असर सिर्फ जमीन तक नहीं, आसमान तक पहुंच गया है। झड़प के तुरंत बाद बुद्ध एयरलाइंस ने सुरक्षा कारणों से काठमांडू-सिमारा की सभी घरेलू उड़ानें रद्द करने का ऐलान किया। एयरलाइंस प्रबंधन ने साफ कहा कि यात्रियों और क्रू की सुरक्षा सर्वोच्च प्राथमिकता है, इसलिए उड़ानों को अस्थायी रूप से रोका गया है।
एयरलाइंस का यह निर्णय कई यात्रियों के लिए बड़ी परेशानी बन गया है, क्योंकि काठमांडू-सिमारा रूट नेपाल के सबसे व्यस्त घरेलू मार्गों में से एक माना जाता है। हवाई अड्डे पर फंसे यात्रियों को एयरलाइंस ने वैकल्पिक तारीखों या रिफंड का विकल्प दिया है। यह फैसला इस बात का संकेत है कि प्रशासन को हालात में तेजी से सुधार की उम्मीद अभी नहीं दिख रही।
Gen-Z की नाराज़गी
नेपाल के वर्तमान राजनीतिक परिदृश्य में Gen-Z की बढ़ती मुखरता किसी से छिपी नहीं है। सोशल मीडिया के माध्यम से अपनी आवाज बुलंद करने वाली युवा पीढ़ी राजनीति में पारदर्शिता, भ्रष्टाचार पर कार्रवाई और नई नेतृत्व शैली की मांग कर रही है। दूसरी ओर UML कैडर का मानना है कि युवाओं का यह व्यवहार पार्टी की विचारधारा को कमजोर करने की कोशिश है।
इसी टकराव ने नेपाल हिंसा को एक बार फिर हवा दी है। बारा में हुई घटना से स्पष्ट होता है कि वैचारिक विभाजन अब सिर्फ राजनीतिक मंच तक सीमित नहीं रहा बल्कि सड़क पर खुलकर टकराव का रूप ले रहा है। स्थिति को शांत करने के लिए स्थानीय प्रशासन लगातार दोनों समूहों से संवाद की कोशिश कर रहा है, लेकिन अभी तक किसी निर्णायक परिणाम की उम्मीद नहीं दिख रही।
क्या कर्फ्यू से हालात सुधरेंगे या भड़केगी नई हिंसा?
सबसे बड़ा सवाल यही है—क्या कर्फ्यू से हालात काबू में आएंगे या फिर तनाव कहीं और फैल सकता है? कई स्थानीय नागरिकों का कहना है कि माहौल बेहद अस्थिर है और किसी भी छोटी घटना से बड़ा विस्फोट हो सकता है। दुकानें बंद हैं, लोग घरों में सिमटे हुए हैं और सड़कों पर पुलिस व APF की भारी तैनाती दिख रही है। कुछ निवासियों ने बताया कि रात में भी स्थिति सामान्य नहीं थी और सुरक्षा बलों को लगातार गश्ती करनी पड़ी। प्रशासन का दावा है कि हालात नियंत्रण में हैं, लेकिन लोग आशंकित हैं कि युवा समूहों की बढ़ती सक्रियता और UML कैडर की जवाबी रणनीति स्थिति को और भड़का सकती है।
नेपाल की राजनीति में बढ़ती अस्थिरता इस घटना को और गंभीर बना देती है। राजनीतिक विशेषज्ञों का मानना है कि यदि समय रहते संवाद और विश्वास बहाली की प्रक्रिया शुरू नहीं हुई, तो नेपाल हिंसा एक बड़ा संकट बना सकता है, जिससे नेपाल के कई जिलों में असुरक्षा की भावना और बढ़ेगी।
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