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पितृपक्ष में अंगूठे से ही क्यों दिया जाता है पूर्वजों को जल? जाने इससे जुड़ी वजह

पितृ पक्ष के दौरान अपने पूर्वजों को श्रद्धा और तर्पण करते हैं। आपने देखा होगा कि तर्पण करते समय अंगूठे से जल दिया जाता है। कई लोगों के मन में यह सवाल होता है कि पितरों को अंगूठे से जल क्यों दिया जाता है।

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pitra paksha

Pitru Paksha 2024: ज्योतिष शास्त्र के अनुसार हर साल भद्र माह की पूर्णिमा तिथि से पितृपक्ष की शुरुआत होती है। जिसका समापन अश्विन माह के कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि को होता है। इस साल पितृ पक्ष की शुरुआत कल 18 सितंबर से हो रही है और 2 अक्टूबर तक समापन होगा। पितृपक्ष के दिन बहुत ही महत्वपूर्ण माने गए हैं इस दौरान पितरों को मनाने के लिए पिंडदान , श्राद्धकर्म, तर्पण आदि किया जाता है‌। पितृ पक्ष के दौरान अपने पूर्वजों को श्रद्धा और तर्पण करते हैं। आपने देखा होगा कि तर्पण करते समय अंगूठे से जल दिया जाता है। कई लोगों के मन में यह सवाल होता है कि पितरों को अंगूठे से जल क्यों दिया जाता है।

क्यों दिया जाता है अंगूठे से जल?

अगर आप श्राद्ध पक्ष के दौरान अंगूठे के माध्यम से पितरों को जल अर्पित करते हैं तो उनकी आत्मा तृप्त हो जाती है। पूजा के नियमों के अनुसार हथेली के जी भाग पर अंगूठा स्थित होता है वो भाग पितृ तीर्थ माना जाता है। अंगूठे से तर्पण का जल देने का कारण शास्त्रों में बताया गया है। इसीलिए आप पितरों को अंगूठे के माध्यम से जल अर्पित करते हैं तो पितृ तीर्थ से होता हुआ जल पितरों के लिए बनाए गए पिंडों तक पहुंचता है।

किसी अन्य अंगुली से ना दे जल

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार अंगूठे से जल अर्पित करने के अलावा अगर कोई किसी अन्य उंगली से जल अर्पित करता है तो यह पितरों तक नहीं पहुंचता है। ऐसे में ना तो पितरों को भोजन मिल पाता है और ना ही जल। जिससे आपके पितरों को मोक्ष नहीं मिलता। पुराणों में भी पितृपक्ष के बारे में कहा गया है कि इसकी शुरुआत महाभारत रामायण के कल से हुई है। भगवान राम ने अपने पिता दशरथ को तर्पण करते समय अंगूठे से जल दिया था। वही महाभारत में पांडवों ने अपने पूर्वजों को जल अंगूठे से दिया था।

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