Chandrayan Vrat: पापों से छुटकारा पाने के लिए शास्त्रों में कई सारे व्रतों के बारे में बताया गया है। इन्हीं में से एक व्रत चंद्रायण व्रत होता है। यह व्रत शरद पूर्णिमा से शुरू होकर कार्तिक पूर्णिमा तक किया जाता है। शरद पूर्णिमा के दिन चंद्रमा अपनी अधिकतम 16 कलाओं का होता है यह व्रत अत्यंत प्राचीन है। इसको करने से सभी पापों से आपको मुक्ति मिल जाएगी। पूर्णिमा चंद्रमा से जुड़ा दिन होने के कारण इसे चंद्रायण व्रत कहा जाता है। यह व्रत 28 अक्टूबर को शक पूर्णिमा के दिन शुरू हो रहा है 26 नवंबर को कार्तिक पूर्णिमा के दिन खत्म होगा।
जाने चंद्रायण व्रत की विधि
इस व्रत को करने के लिए प्रातः काल आप स्नान करें और तुलसी जी की पूजा करें और पूजा घर में हर समय आप दीपक जलाएं। तुलसी डालकर आप जल पिलाए। व्रत के पहले दिन एक ग्रास, दूसरे दिन दो ग्रास लेते हुए प्रत्येक दिन एक ग्रास बढ़ाते हुए पंद्रहवें दिन पंद्रह ग्रास खाद्य पदार्थ का सेवन करना चाहिए। अगले 15 दिनों तक हर रोज एक ग्रास कम करते हुए पंद्रहवें दिन अर्थात कार्तिक पूर्णिमा को व्रत करते हुए ब्राह्मण को भोजन करना चाहिए और फिर परिवार के सदस्यों को भोजन कारण उसके बाद अंत में आप भोजन करें। बड़े बुजुर्गों का आशीर्वाद ने ब्राह्मणों को दक्षिणा दें।
इन बातों का रखें विशेष ध्यान
इस व्रत को करते समय कुछ ऐसी बातें हैं जिनका विशेष ध्यान रखना चाहिए। इस व्रत को करने वाले व्यक्ति को ब्रह्मचर्य का पालन जरूर करना चाहिए। भूमि शयन करते हुए संध्या वंदन स्वाध्याय आदि धार्मिक कार्यों में ही समय बिताना चाहिए। व्रत के दौरान प्रतिदिन गायत्री मंत्र की 11 माला का जाप करना चाहिए और तुलसी माता की पूजा अर्चना करनी चाहिए। इस दौरान शराब, मांस ,मदिरा से दूर रहना चाहिए।
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