बिहार में चुनावी हलचल तेज़ है और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को समस्तीपुर की धरती से अपने विरोधियों पर करारा हमला बोला। मंच पर मखाने की माला पहनकर पहुंचे पीएम मोदी ने मिथिला की जनता को संबोधित करते हुए कहा कि “मिथिला का मूड तय कर चुका है कि बिहार अब नई रफ्तार से चलेगा।” रैली में उमड़ी भीड़ और नारेबाजी ने यह संकेत दे दिया कि इस बार मुकाबला सिर्फ विकास बनाम भ्रष्टाचार का होने वाला है।
पीएम मोदी ने लालू यादव के परिवार पर निशाना साधते हुए कहा कि “जो लोग जमानत पर हैं, वो चोरी के मामलों में जमानत पर हैं। ये वही लोग हैं जो बिहार की राजनीति में घोटाले की परंपरा लाए थे, और अब जननायक की उपाधि की चोरी में जुटे हैं।” उन्होंने आगे कहा कि “बिहार के लोग कर्पूरी ठाकुर का अपमान कभी नहीं सहेंगे, क्योंकि भाजपा उसी रास्ते पर चल रही है जो गरीबों और पिछड़ों के उत्थान की राह दिखाता है।
मोदी का तंज और जनता की प्रतिक्रिया
प्रधानमंत्री मोदी ने भाषण के दौरान तीखा तंज कसते हुए कहा — “जब हर हाथ में मोबाइल है, तो अब बिहार को लालटेन की जरूरत नहीं है।” इस बयान पर रैली स्थल पर मौजूद भीड़ में जोरदार तालियां गूंजीं। यह वाक्य चुनावी प्रचार का नया प्रतीक बनता दिख रहा है, जो आरजेडी के पुराने प्रतीक ‘लालटेन’ पर सीधा वार था।
पीएम ने कहा कि एनडीए सरकार गरीबों के विकास को समर्पित है — “हमने गरीब को पक्का घर दिया, मुफ्त राशन दिया, शौचालय और पेयजल जैसी सुविधाएं दीं। हमारी सरकार ने हर उस घर तक पहुंच बनाई है, जिसे पहले सत्ता से दूर रखा गया था।” उन्होंने यह भी कहा कि नीतीश कुमार और एनडीए की साझेदारी फिर से बिहार में सुशासन लाएगी, और जनता अब भ्रष्टाचार से थक चुकी है।
मिथिला की धरती पर पीएम मोदी का यह भाषण सिर्फ एक राजनीतिक संबोधन नहीं बल्कि भावनात्मक अपील भी थी। उन्होंने आने वाले छठ महापर्व का जिक्र करते हुए कहा कि “यह पर्व आत्मनिर्भरता, शुद्धता और परिश्रम का प्रतीक है, और बिहार की आत्मा इसी संस्कृति में बसती है।”
क्या बदलेगा बिहार का राजनीतिक समीकरण?
पीएम मोदी ने अपने भाषण में कर्पूरी ठाकुर का नाम कई बार दोहराया, जिसे राजनीतिक जानकार एक रणनीतिक कदम मान रहे हैं। उन्होंने कहा — “हमने कर्पूरी ठाकुर के आदर्शों को आगे बढ़ाने का काम किया है। हमारे निर्णय हमेशा गरीबों और पिछड़ों के हित में रहे हैं।”
वहीं, राजनीतिक विशेषज्ञों का मानना है कि मोदी का यह भाषण सिर्फ विरोधियों पर हमला नहीं, बल्कि राज्य की जातीय राजनीति में नया संतुलन बनाने की कोशिश भी है। उन्होंने नीतीश कुमार के नेतृत्व की सराहना करते हुए कहा कि “बिहार ने विकास की जो लय पकड़ी है, उसे अब कोई रोक नहीं सकता।”
रैली के बाद पूरे मिथिला क्षेत्र में चर्चा का माहौल गर्म है — क्या वाकई ‘लालटेन युग’ का अंत नजदीक है? या विपक्ष इस बयान को भुनाने में सफल रहेगा? आने वाले दिनों में बिहार की राजनीति इस सवाल का जवाब देगी।
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