Sunday, December 7, 2025
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‘सिगरेट जेहाद’ से दुनिया हैरान! इस इस्लामिक देश ने उठाया ऐसा कदम, जिसे जानकर बाकी देश भी सोच में पड़ गए

मलेशिया ने 2007 के बाद जन्मे युवाओं के लिए सिगरेट पर बैन लगाकर इतिहास रचा. जानिए कैसे यह कानून भविष्य की पीढ़ी को नशे से बचाएगा.

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भारत के पड़ोसी मुस्लिम देश मलेशिया ने एक अभूतपूर्व कदम उठाया है. सरकार ने ‘जनरेशन एंड गेम’ नामक ऐतिहासिक नीति के तहत 2007 के बाद जन्मे किसी भी व्यक्ति के लिए सिगरेट खरीदना, बेचना या रखना पूरी तरह गैरकानूनी घोषित कर दिया है. इसका मतलब है कि आने वाले वर्षों में यह पूरा देश धीरे-धीरे “स्मोक-फ्री” बन जाएगा.

इस फैसले को “सिगरेट के खिलाफ जेहाद” कहा जा रहा है. सरकार का कहना है कि इस कानून से न केवल युवाओं की सेहत सुधरेगी बल्कि देश की स्वास्थ्य प्रणाली पर पड़ने वाला दबाव भी घटेगा.

‘जनरेशन एंड गेम’ पॉलिसी से क्या है सरकार की मंशा?

मलेशिया की सरकार ने लंबे विचार-विमर्श और स्वास्थ्य विशेषज्ञों की सलाह के बाद यह कानून पारित किया है. उद्देश्य है नई पीढ़ी को नशे की गिरफ्त से पूरी तरह बाहर रखना. इस नीति के तहत भविष्य में किसी भी रिटेलर को 2007 के बाद जन्मे व्यक्ति को सिगरेट या तंबाकू उत्पाद बेचने की अनुमति नहीं होगी.

सरकार ने कहा कि यह कानून “सजा” के लिए नहीं बल्कि “सुरक्षा” के लिए है. युवाओं को धीरे-धीरे ऐसे वातावरण में लाना है जहां धूम्रपान को सामान्य नहीं, बल्कि हानिकारक आदत माना जाए.

जनता और विशेषज्ञों की मिली-जुली प्रतिक्रिया

मलेशिया के युवाओं में इस फैसले को लेकर अलग-अलग राय सामने आ रही है. कुछ लोगों का कहना है कि सरकार व्यक्तिगत आज़ादी पर रोक लगा रही है, वहीं कई स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने इसे “भविष्य की पीढ़ियों को बचाने वाला कदम” बताया है.
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने भी इस नीति की सराहना की है और कहा है कि अगर इसे सख्ती से लागू किया गया तो मलेशिया “तंबाकू-मुक्त देशों” की सूची में सबसे आगे होगा.

बाकी देशों के लिए बना उदाहरण

मलेशिया का यह फैसला अब अन्य देशों के लिए भी प्रेरणा बन सकता है. ब्रिटेन और न्यूजीलैंड पहले ही इस दिशा में आंशिक कदम उठा चुके हैं, लेकिन मलेशिया ने जिस सख्ती से “जनरेशन एंड गेम” लागू किया है, वह इसे दुनिया का पहला ‘स्मोक-फ्री जेनरेशन मॉडल’ बना देता है.
विशेषज्ञों का कहना है कि अगर भारत, पाकिस्तान और इंडोनेशिया जैसे देशों ने भी ऐसा कानून अपनाया, तो आने वाले दशक में करोड़ों जिंदगियां बचाई जा सकती हैं.

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