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देश ने चुकाई गद्दारी की कीमत, शहीद हुए देश के 4 सपूत,अतंनाग में जाल बिछाकर जवानों पर किया गया हमला

जवानों ने आतंकियों से मुठभेड़ की जिसमें तीन जवान शहीद जम्मू कश्मीर के डीएसपी शहीद हो गए। यह जंगल बहुत ही घना है चारों तरफ से पेड़ों की चादर से ढके हुए जंगल में किसी भी ऑपरेशन को अंजाम देना बहुत ही मुश्किल है।

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Anantnag Encounter

Anantnag Encounter: जम्मू कश्मीर के अंत नाग में हुए आतंकी हमले में हमारे देश के चार जवानों ने कुर्बानी दे दी है। जम्मू कश्मीर के डीएसपी और भारतीय सेना के तीन जवानों की शहादत पर आज पूरा देश रो रहा है। जम्मू कश्मीर के कोकेरनाग का जंगल बेहद ही घना है। जहां पर जवानों ने आतंकियों से मुठभेड़ की जिसमें तीन जवान शहीद जम्मू कश्मीर के डीएसपी शहीद हो गए। यह जंगल बहुत ही घना है चारों तरफ से पेड़ों की चादर से ढके हुए जंगल में किसी भी ऑपरेशन को अंजाम देना बहुत ही मुश्किल है। आज हम आपको बताने जा रहे हैं की सेना के जवानों पर काउंटर अटैक नहीं बल्कि जाल बिछाकर हमला किया गया।

देश के चार सपूतों ने गंवाई जान

12 सितंबर 2023 को जब पूरा देश सो रहा था तब खुफिया एजेंसी के कानों तक एक मुखबिर के जरिए खबर पहुंचाई गई कि कोकेरनाग के जंगल में एकदम सटीक लोकेशन पर आतंकवादी संगठन लश्कर के दो दहशतगर्ज छुपे हुए हैं। लेकिन यह मुखबिर पुलिस के लिए नहीं बल्कि आतंकियों के लिए काम कर रहा था। वह मुखबिर की शक्ल में डबल एजेंट था। जैसे ही यह जानकारी ऑफिसर और जम्मू कश्मीर पुलिस के डीएसपी हुमायूं भट्ट तक पहुंची तो उन्होंने नियमों के मुताबिक 19 राष्ट्रीय राइफल्स के कमांडिंग अफसर कर्नल मनप्रीत सिंह को तुरंत एक जॉइंट ऑपरेशन लॉन्च करने की बात कही। ताकि आतंकवादी अपना ठिकाना जल्दी ना बदला ले। कर्नल मनप्रीत सिंह ने मेजर आशीष से बात किया फौरन ही ऑपरेशन के लिए जवानों की टुकड़ी तैयार हो गई।

जवानों पर हमला करने का इंतजार कर रहे थे आतंकी

मुखबिर के बताए लोकेशन पर जवानों ने ऑपरेशन शुरू कर दिया। अफसर को लगा कि मुखबिर की खबर पक्की और लश्कर के आतंकी आसपास ही मौजूद हो सकते हैं। जैसे ही कर्नल मलप्रीत सिंह, मेजर आशीष और डीएसपी भट्ट सर्च ऑपरेशन का प्लान बना रहे थे। अचानक गोलियां चलनी शुरू हो गई दोनों आतंकवादी जंगल में मौजूद इस हाइडआउट के बगल वाले पहाड़ के ऊपर छिपे हुए थे। गोली लगने के बाद तीनों अवसर गिर गए लेकिन आतंकवादियों पर फायरिंग करते रहे आतंकवादी पहले ही सुरक्षित जगह पर मौजूद थे और पहाड़ी के ऊपर भाग निकले। कर्नल और मेजर इस मुठभेड़ में गोली लगने के बाद एक छोटी खाई में गिर गए । वहीं डीएसपी हाइड आउट के बगल में ही गिर गए। आतंकवादियों को ढूंढने के साथ-साथ बॉडी के लिए भी सर्च ऑपरेशन चलाया गया डीएसपी हुमायूं भट्ट के शव को लाने में 6 घंटे का वक्त लगा था।

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