Sunday, November 9, 2025

सुप्रीम कोर्ट में सनसनी! वकील ने उछाला जूता, CJI गवई बोले “मुझे ऐसी चीजों से कोई फर्क नहीं पड़ता”

देश की सर्वोच्च अदालत में सोमवार को एक ऐसा नजारा देखने को मिला, जिसने सभी को हैरान कर दिया। CJI डी.वाई. चंद्रचूड़ के बाद पहली बार CJI जस्टिस गवई की बेंच पर इस तरह की घटना हुई जब एक वकील अचानक अपनी जगह से उठा और बेंच की तरफ जूता फेंकने की कोशिश की। यह सब उस वक्त हुआ जब कोर्ट में रोज़ाना की तरह मामलों का उल्लेख (मेंशनिंग) चल रहा था। वहां मौजूद सुरक्षाकर्मी तुरंत हरकत में आए और वकील को काबू में कर लिया।

रिपोर्ट्स के मुताबिक, वकील बेंच के बिल्कुल करीब पहुंच गया था और उसने जैसे ही जूता निकाला, उसी क्षण कोर्ट में तैनात सिक्योरिटी ने उसे पकड़ लिया। इससे पहले कि जूता जजों की तरफ फेंका जा सके, सुरक्षाकर्मी उसे कोर्ट से बाहर ले गए। बाहर जाते वक्त वह नारेबाजी करता हुआ चिल्लाने लगा— “सनातन धर्म का अपमान नहीं सहेगा हिंदुस्तान!”

CJI गवई का रिएक्शन – “इन सब चीज़ों से हम विचलित नहीं होते”

इस पूरे हंगामे के बीच अदालत में एक पल के लिए सन्नाटा पसर गया। लेकिन चीफ जस्टिस डी. वाई. गवई ने पूरे संयम के साथ स्थिति संभाली। उन्होंने कोर्ट में मौजूद बाकी वकीलों से कहा कि ध्यान भटकाने की ज़रूरत नहीं है। जस्टिस गवई ने मुस्कराते हुए कहा – “इन सब चीज़ों का मुझ पर कोई असर नहीं होता। हम यहां न्याय देने आए हैं, न कि प्रतिक्रिया देने।”

उनके इस जवाब से कोर्टरूम में मौजूद सभी वकील शांत हो गए और कार्यवाही सामान्य रूप से जारी रही। कई सीनियर एडवोकेट्स ने सीजेआई के धैर्य और पेशेवर रवैये की सराहना की। वहीं, घटना के बाद सुप्रीम कोर्ट परिसर की सुरक्षा व्यवस्था को और सख्त कर दिया गया है।

नारेबाजी और सनातन का मुद्दा – क्या थी वकील की नाराज़गी?

स्रोतों के अनुसार, वह वकील हाल के दिनों में “सनातन धर्म के अपमान” से जुड़े कुछ बयानों को लेकर नाराज़ था। उसने कोर्ट में मेंशनिंग के दौरान इस विषय को उठाने की कोशिश की थी। लेकिन जब उसकी बात सुनी नहीं गई, तो वह अचानक उग्र हो गया और उसने जूता निकाल लिया। हालांकि, अदालत ने इस मामले को “शांति भंग की कोशिश” बताते हुए संबंधित एजेंसियों से रिपोर्ट मांगी है।

कानूनी विशेषज्ञों का कहना है कि यह घटना न केवल अदालत की मर्यादा के खिलाफ है, बल्कि यह अदालत की प्रतिष्ठा पर हमला भी माना जा सकता है। आरोपी वकील के खिलाफ अब Contempt of Court (अवमानना) की कार्रवाई संभव है। वहीं, इस घटना के बाद यह सवाल भी उठ रहा है कि अदालत परिसर में सुरक्षा जांच कैसे पार की गई।

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