दिल्ली के तिमारपुर इलाके में कुछ दिन पहले एक कमरे में लगी आग ने इलाके के लोगों को झकझोर दिया था। शुरुआती रिपोर्ट्स में इसे एक हादसे के रूप में देखा गया, लेकिन पुलिस की गहन जांच ने एक भयावह साजिश का खुलासा किया। जांचकर्ताओं ने पाया कि यह कोई आकस्मिक घटना नहीं थी। कमरे में लगी आग के पीछे की कहानी में एक हत्या की सोची-समझी योजना छिपी हुई थी।
इस मामले का सबसे चौंकाने वाला पहलू यह था कि हत्या की साजिश रचने वाली मास्टरमाइंड वही छात्रा थी जो बीएससी फॉरेंसिक साइंस की पढ़ाई कर रही थी। वह अपराध विज्ञान के सिद्धांतों और तकनीकों को गहराई से जानती थी और लोगों को न्याय दिलाने की दिशा में काम करना चाहती थी। लेकिन अब वही खुद कानून के कटघरे में खड़ी थी।
पुलिस सूत्रों ने बताया कि घटना स्थल की शुरुआती जांच में आग लगने का कारण स्पष्ट नहीं था। कमरे में लगे फर्नीचर और अन्य सामानों के पैटर्न ने यह अनुमान लगाया गया कि आग प्राकृतिक रूप से नहीं लगी थी। वहीं, जब फॉरेंसिक टीम ने जलने से पहले की तस्वीरें और अन्य साक्ष्यों की जांच की, तो हत्या की असली कहानी सामने आई।
मास्टरमाइंड का चौंकाने वाला प्लान
जांच में यह सामने आया कि 21 वर्षीय अमृता चौहान ने अपने पूर्व प्रेमी और UPSC उम्मीदवार 32 वर्षीय रामकेश मीणा के साथ अपने संबंधों को खत्म करने के बाद उसकी हत्या की योजना बनाई थी। पुलिस ने पाया कि रामकेश के पास अमृता की कुछ आपत्तिजनक तस्वीरें थीं। पुलिस सूत्रों का कहना है कि यही कारण बन गया कि अमृता ने हत्या की सोची-समझी योजना बनाई।
अमृता ने अपने परिचित संदीप के साथ मिलकर हत्या की योजना को अमली जामा पहनाया। प्रारंभिक जांच में यह पता चला कि दोनों ने रामकेश को कमरे में बुलाया और उसके गले पर अत्यधिक दबाव डालकर हत्या कर दी। इसके बाद शव को आग में झोंक दिया ताकि मामला सामान्य हादसा प्रतीत हो।
जांच अधिकारी ने बताया कि यह योजना इतनी सावधानीपूर्वक बनाई गई थी कि शुरुआती जांच में इसे सामान्य आग का हादसा ही समझा गया। लेकिन फॉरेंसिक टीम ने जली हुई वस्तुओं, कार्बनाइज्ड मटीरियल और कमरे की स्थिति का विश्लेषण करने के बाद असली कहानी उजागर की।
सांकेतिक और फॉरेंसिक विश्लेषण से यह स्पष्ट हुआ कि हत्या के समय कमरे में आग नहीं लगी थी। पहले गला घोंटना हुआ और उसके बाद शव को आग में डालकर सबूत मिटाने की कोशिश की गई। यह मामला फॉरेंसिक विज्ञान के छात्रों और विशेषज्ञों के लिए भी एक चौंकाने वाला उदाहरण बन गया।
गिरफ्तारी और कानूनी कार्रवाई
दिल्ली पुलिस ने इस मामले में तीन लोगों को गिरफ्तार किया है। इनमें मुख्य आरोपी अमृता और उसका सहयोगी संदीप शामिल हैं। अधिकारियों का कहना है कि मामले की गहन जांच जारी है और अभी अन्य विवरण सामने आने बाकी हैं।
पुलिस के मुताबिक, गिरफ्तारी के दौरान आरोपी छात्रों ने कुछ हिस्सों में साजिश स्वीकार की, लेकिन कुछ पहलुओं में चुप्पी साधी। पुलिस अब यह पता लगाने की कोशिश कर रही है कि हत्या के अलावा और कौन-कौन से अपराध इस साजिश से जुड़े हो सकते हैं।
इस सनसनीखेज मामले ने दिल्ली के तिमारपुर इलाके में रहने वाले लोगों के बीच भी डर और चौंक का माहौल पैदा कर दिया है। लोग इस बात को लेकर आश्चर्यचकित हैं कि फॉरेंसिक साइंस पढ़ रही छात्रा ने कैसे इतनी चालाकी से हत्या की साजिश रची।
मामले की जांच से यह भी पता चला कि अमृता ने हत्या से पहले अपने मोबाइल और अन्य डिजिटल माध्यमों का इस्तेमाल करके अपनी योजना की जानकारी साझा की थी। यह डिजिटल साक्ष्य पुलिस के लिए काफी अहम साबित हुए और केस को सुलझाने में निर्णायक भूमिका निभाई।
इस सनसनीखेज घटना ने यह सवाल भी खड़ा कर दिया है कि आधुनिक युग में शिक्षा और ज्ञान का इस्तेमाल हमेशा सकारात्मक दिशा में ही होना चाहिए। अमृता का मामला एक उदाहरण है कि गलत इंसान के हाथ में ज्ञान कितना खतरनाक साबित हो सकता है।
आगे की कार्रवाई
पुलिस ने कहा है कि मामले की जांच अभी चल रही है और आने वाले हफ्तों में सभी संदिग्धों के बयान और डिजिटल साक्ष्यों की गहन जांच की जाएगी। अदालत में पेश किए जाने से पहले पुलिस हर पहलू को ध्यान से खंगाल रही है ताकि कोई भी साजिश छूट न जाए।
साथ ही, स्थानीय प्रशासन और पुलिस ने इस तरह के मामलों के लिए सतर्क रहने और लोगों को जागरूक करने की योजना बनाई है। इस घटना ने न केवल दिल्ली बल्कि पूरे देश में फॉरेंसिक साइंस के छात्रों और अपराध विज्ञान की पढ़ाई करने वालों के लिए भी चेतावनी का संदेश भेजा है।
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