गुजरात के अहमदाबाद से लंदन जा रही AI-171 फ्लाइट का वो हादसा आज भी लोगों की यादों में दहशत की तरह गूंजता है। उस विमान में सवार 241 यात्रियों में से सिर्फ एक व्यक्ति, विश्वास कुमार रमेश ही जिंदा बच पाए थे। उन्हें मलबे के नीचे से जीवित निकाला गया था — टूटे पंखों, बिखरे शवों और जलती आग के बीच से। पर यह बचना किसी राहत की कहानी नहीं, बल्कि दर्द की दास्तां बन गया। विश्वास कहते हैं — “मैं बच गया, लेकिन अब हर दिन मर रहा हूं।” उनकी आवाज़ में वह सिहरन आज भी मौजूद है जो उस रात की आग में जलकर उनके अंदर बस गई थी।
विश्वास ने बताया कि जब विमान जमीन से टकराया, तो एक पल को लगा कि सब खत्म हो गया। चारों तरफ सिर्फ चीखें, आग और धुआं था। उन्होंने अपने छोटे भाई अजय की तरफ देखा — वह कुछ कदम दूर बैठा था, लेकिन जब तक वे कुछ कर पाते, सब कुछ राख में बदल गया। उस दिन सिर्फ एक ही सवाल उनके भीतर रह गया — “क्यों मैं बच गया?”
रिश्तों से दूर, सन्नाटे में कैद है ‘जिंदा बचा’ इंसान
हादसे के बाद से विश्वास की ज़िंदगी जैसे थम सी गई है। वे कहते हैं कि अब वे अपने परिवार से बात नहीं करते। पत्नी और बेटे से दूरी बना ली है। वे दिनभर अकेले रहते हैं, खामोश घर में, जहां दीवारें भी जैसे हादसे की गूंज दोहराती हैं। उनका कहना है — “मुझे रात में नींद नहीं आती। जब भी आंखें बंद करता हूं, वही दृश्य सामने आ जाता है — विमान का गिरना, लोगों की चीखें, और आग की लपटें।”
विश्वास बताते हैं कि हादसे के बाद महीनों तक अस्पताल में रहे, कई सर्जरी हुईं, लेकिन अंदर के घाव नहीं भरे। उनका शरीर ठीक हो गया, पर मन अब भी उस मलबे में फंसा हुआ है। वे कहते हैं — “लोग मुझे चमत्कार कहते हैं, लेकिन मेरे लिए यह किसी सज़ा से कम नहीं।”
‘चमत्कार या सज़ा’?— अब भी जवाब खोज रहा है विश्वास
AI-171 फ्लाइट क्रैश के बाद जांच रिपोर्ट में तकनीकी खराबी की बात कही गई थी, पर विश्वास का मानना है कि हादसे ने सिर्फ मशीनें नहीं तोड़ीं, बल्कि उनके भीतर की ज़िंदगी भी तोड़ दी।
वे हर दिन उस याद के साथ जीते हैं कि उनका भाई अजय अब इस दुनिया में नहीं है। विश्वास कहते हैं — “मैं जानता हूं कि मुझे भगवान ने बचाया, लेकिन अब समझ नहीं आता कि क्यों… शायद इसलिए कि मैं दूसरों के लिए सबक बन जाऊं।”
डॉक्टर्स के मुताबिक, विश्वास पोस्ट-ट्रॉमेटिक स्ट्रेस डिसऑर्डर (PTSD) से गुजर रहे हैं — यानी मानसिक रूप से बार-बार वही घटना दोहराना, जो उन्हें भीतर से तोड़ रही है।
आज विश्वास किसी भी उड़ान के पास नहीं जाते। आसमान में उड़ते विमान की आवाज़ सुनते ही वे कांप उठते हैं। कहते हैं — “मौत से तो निकल आया, पर ज़िंदगी अब भी वहां फंसी है।”
